कार्तिक पूर्णिमा पूजा शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima Puja Shubh Muhurat)
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 29 नवंबर, रविवार को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 30 नवंबर, सोमवार को दोपहर 03 बजे तक।
कार्तिक पूर्णिमा संध्या पूजा का मुहूर्त – 30 नवंबर, सोमवार – शाम 5 बजकर 13 मिनट से शाम 5 बजकर 37 मिनट तक।
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30 नवंबर 2020 को आ रही कार्तिक पूर्णिमा पर ऐसे ही कुछ सिद्ध उपाय आप भी करके अपने जीवन को संपन्न बना सकते हैं।
: आप वर्ष की किसी पूर्णिमा का व्रत न रखें, लेकिन मात्र कार्तिक पूर्णिमा का व्रत जरूर रखें। इस दिन व्रत रखकर रात्रि में बछड़ा दान करने से वंश वृद्धि होती है। उत्तम गुणों वाली संतान की प्राप्ति होती है।
: कार्तिक पूर्णिमा पर पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक अवश्य करना चाहिए। इससे समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इससे वाजपेयी यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।
: कार्तिक पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में कच्चा दूध डालें और जड़ में से थोड़ी सी मिट्टी ले आएं। इसे लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखने से घर में कभी लक्ष्मी की कमी नहीं होती।
: कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में डुबकी जरूर लगाना चाहिए। जाने-अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित होता है। मोक्ष की प्राप्ति होती है। बुरे ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
: यदि जन्मकुंडली में चंद्र कमजोर है तो मानसिक पीड़ा आती है। चंद्र को मजबूत करने के लिए पूर्णिमा की रात्रि में निर्धन बालक-बालिकाओं को गर्म दूध पिलाएं।
: कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु की प्रतिमा को केसर के दूध से स्नान कराकर षोडशोपचार पूजन करें और विष्णु सहरुानाम का पाठ करें। इससे धन, सुख, वैभव, संपत्ति की प्राप्ति होती है।
: इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का लाल कमल या लाल गुलाब के पुष्पों से पूजन करें और उन्हें खीर का भोग लगाने से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।
: कार्तिक पूर्णिमा के दिन पारद का श्रीयंत्र घर में स्थापित करने से जीवन के सारे अभाव दूर हो जाते हैं।
: इस दिन तुलसी पत्र ना तो तोड़ें और ना ही खाएं। केवल तुलसी का पूजन किया जा सकता है।
: कार्तिक पूर्णिमा के दिन हनुमानजी को 108 आंकड़े के पत्तों की माला पहनाएं, प्रत्येक पत्ते पर श्रीराम लिखें। यह माला हनुमानजी को पहनाने से रोग और शत्रु दूर हो जाते हैं।: कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें। : एक चौकी लें। उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर लक्ष्मीनारायण भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
ॐ सों सोमाय नम:।
ॐ विष्णवे नमः।
ॐ कार्तिकेय नमः।
ॐ वृंदाय नमः।
ॐ केशवाय नमः। कार्तिक पूर्णिमा का महत्व…
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान करना दस यज्ञों के समान पुण्यकारी माना जाता है. शास्त्रों में इसे महापुनीत पर्व कहा गया है. कृतिका नक्षत्र पड़ जाने पर इसे महाकार्तिकी कहते हैं. कार्तिक पूर्णिमा अगर भरणी और रोहिणी नक्षत्र में होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली भी मनाई जाती है.
पुराणों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा की तिथि पर ही भगवान विष्णु ने धर्म, वेदों की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था।