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Makar sankranti 2023: जान लें सही डेट और पूजा विधान, यह उपाय करेगा शनि पीड़ा कम

मकर संक्रांति 2023 कब है, इसको लेकर असमंजस में हैं तो हम आपकी कंफ्यूजन दूर करने के लिए पुरोहितों से बात कर बता रहे हैं Makar sankranti 2023 Date और इस तिथि पर क्या है पूजा विधान।

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Shailendra Tiwari

Dec 29, 2022

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मकर संक्रांति 2023

Makar sankranti 2023 Date: हिंदू धर्म मानने वालों के लिए संक्रांति का विशेष महत्व है। भगवान भास्कर जब धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस घटना को मकर संक्रांति (Makar sankranti 2023 Date) कहते हैं। भारत के हर कोने में यह त्योहार अलग-अलग रूप में मनाया जाता है।

इस दिन तीर्थस्थलों, पवित्र नदियों में स्नान, पूजा पाठ और दान पुण्य किया जाता है। इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही है। इसे खिचड़ी और उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। इस दिन उत्तराखंड, गुजरात आदि में विशेष आयोजन होते हैं। वहीं देश भर में पूजा-पाठ आदि तो होता ही (makar sankranti ke din kya karen) है। मकर संक्रांति पर खरमास खत्म हो जाएगा और मांगलिक कार्यों का फिर रास्ता खुल जाएगा।


मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त (makar sankranti muhurt): प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय ने पंचांग के आधार पर बताया है कि मकर संक्रांति तिथि की शुरुआत 14 जनवरी रात 8. 43 बजे से हो जाएगी और यह तिथि 15 जनवरी को 5.40 बजे संपन्न होगी। लेकिन उदयातिथि में मकर संक्रांति पर्व 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा। इसके अलावा इस तिथि का पुण्यकाल 15 जनवरी सुबह 6.47 बजे शुरू हो रहा है, जो शाम पांच 40 बजे तक है, जबकि इसका महापुण्यकाल सुबह 7.15 से 9.06 बजे तक है। पुण्यकाल और महापुण्यकाल के बीच ही स्नानदान करना शुभ है।

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मकर संक्रांति पूजा विधिः आचार्य प्रदीप के अनुसार इस दिन इस विधि से पूजा-पाठ करना चाहिए।


1. मकर संक्रांति को शुभ मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान कर स्वच्छ लोटे में लाल फूल और अक्षत डालकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दें।
2. इस दिन शनि देव को भी जल अर्पित करना चाहिए।


3. भगवान भास्कर के मंत्र ऊं सूर्याय नमः का जाप करें और गीता का पाठ करें।
4. अन्न, कंबल, घी और तिल का दान करें।
5. नए अन्न की खिचड़ी बनाएं और भगवान को अर्पित कर प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
6. संध्या काल में अन्न का सेवन न करें।

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मकर संक्रांति पर उपाय


1. इस दिन गरीब को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
2. संक्रांति में पानी में तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है और कुंडली दोष का निवारण होता है। ऐसा करने से सूर्य और शनि दोनों की कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि इस दिन भगवान भास्कर, पुत्र शनि के घर यानी शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं।

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मकर संक्रांति महत्वः संक्रांति सूर्य उपासना का पर्व है। इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी माना जाता है। यह नई फसल काटने का भी उत्सव है। यूपी से लेकर तमिलनाडु तक यह उत्सव मनाया (makar sankranti mahatv) जाता है। कहीं इसे खिचड़ी, कहीं उत्तरायण तो कहीं पोंगल के रूप में मनाते हैं। इस दिन तिल गुड़ से बने लड्डू बांटने का रिवाज है, इस दिन देश भर में पतंग प्रतियोगिताएं होती हैं। गुजरात काइट फेस्टिवल तो देशभर में मशहूर है। इस दिन तिल का दान भी शुभ माना जाता है।


पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के यहां जाते हैं। इसका तात्पर्य है कि यह पिता पुत्र का मिलन पर्व भी है। इसके अलावा यह पर्व भगवान विष्णु के असुरों को हराने यानी धार्मिक व्यक्तियों की रक्षा का भी पर्व है।