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Margashirsha Purnima 2021: दो दिन पड़ रही है मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत की तिथि, जानें किस दिन क्या करें?

पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति मिलने के साथ ही पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

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margashirsha purnima 2021

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Margashirsha Purnima 2021: हिन्दू कैलेंडर के मार्गशीर्ष माह को अत्यंत पवित्र माना गया है। वहीं इस माह की पूर्णिमा यानि मार्गशीर्ष पूर्णिमा का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा व व्रत करने से पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति मिलने के साथ ही कई तरह की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। ऐसे में इस बार पूर्णिमा तिथि 18 और 19 दिसंबर यानि 2 दिन की होने की वजह से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। जिसके चलते भक्त पूजा के दिन, व्रत और स्नान को लेकर संशय में हैं।

किस दिन क्या करें : Margashirsha Purnima 2021 Date and Time
ज्योतिष के जानकार पंडित एके शुक्ला के अनुसार इस साल यानि 2021 में पूर्णिमा तिथि आज शनिवार, 18 दिसंबर से शुरु हो रही है, जो रविवार, 19 दिसंबर तक रहेगी। ऐसे में जहां रविवार 19 दिसंबर को उदयातिथि के चलते स्नान-दान करना शुभ रहेगा, वहीं पूर्णिमा का चांद 18 दिसंबर की शाम को ही दिखाई देगा।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 की तिथि : Margashirsh Purnima 2021 Tithi
मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत शनिवार, 18 दिसंबर को 07:24 AM बजे से होगी, वहीं इसका समापन रविवार, 19 दिसंबर को 10:05 AM पर होगा। पंडित शुक्ला के अनुसार 18 दिसंबर की शाम को चंद्रोदय होने के कारण पूर्णिमा का व्रत इस दिन ही रखा जाएगा। जबकि रविवार, 19 दिसंबर स्नान-दान करना शुभ है।

ऐसे करें पूर्णिमा के दिन स्नान और ध्यान
पंडित शुक्ला के अनुसार हर पूर्णिमा की तरह ही मार्गशीर्ष पूर्णिमा में भी भगवान विष्णु की पूजा श्रेष्ठ मानी जाती है। ऐसे में इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि नित्यकर्म के पश्चात सफेद वस्त्र धारण कर भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और फिर फिर आचमन करना चाहिए।

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जिसके बाद साफ सफाई के पश्चात भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को निश्चित स्थान पर स्थापित करते हुए ऊँ नमोः नारायण कहकर भगवान का आह्वान करें। और फिर भगवान को आसन, गंध और पुष्प आदि अर्पित करें।

इसके पश्चात पूजा स्थल पर वेदी बनाकर हवन के लिए उसमें अग्नि प्रज्जवलित करें। फिर हवन में तेल, घी और बूरा आदि की आहुति दें। और पूरे दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते रहें। अब रात के समय भगवान नारायण की मूर्ति के पास ही शयन करें। फिर व्रत के दूसरे दिन ब्राह्मण व जरुरतमंद व्यक्तियों को भोजन कराते हुए, क्षमता के अनुसार उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदा करें। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा की जाती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व : Importance of Margashirsh Purnima
पौराणिक मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष की पूर्णिमा पर भगवान विष्णु का व्रत और पूजा करने से जगत के पालनहार की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही इस दिन पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में तुलसी की जड़ की मिट्टी से स्नान विशेष माना गया है। माना जाता है कि इस दिन किए गए दान का फल अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना अधिक प्राप्त होता है, इसी कारण इसको बत्तीसी पूर्णिमा भी कहते हैं।