scriptआज पापमोचिनी एकादशी हैः व्रती इस मुहूर्त में ऐसे करें पूजन | Papmochani Ekadashi Vrat : Puja Vidhi 19 March 2020 | Patrika News

आज पापमोचिनी एकादशी हैः व्रती इस मुहूर्त में ऐसे करें पूजन

locationभोपालPublished: Mar 19, 2020 09:10:31 am

Submitted by:

Shyam

Papmochani Ekadashi Vrat : गुरुवार 19 मार्च को हैं सर्व पापमोचनी एकादशी

पापमोचिनी एकादशी व्रत पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

पापमोचिनी एकादशी व्रत पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

आज 19 मार्च 2020 दिन गुरुवार को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत तिथि है, जिसे पापमोचनी एकादशी कहते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पापमोचनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु जी की पूजा करने से सभी तरह के ज्ञात-अज्ञात पापों से मुक्ति मिलने के साथ अनेक कामनाएं भी पूरी होने लगती है। जानें पापमोचनी एकादशी व्रत विधि, मुहूर्त और महत्व।

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पापमोचनी एकादशी व्रत एवं पूजा विधान

पापमोचनी एकादशी के दिन सूर्योदय से लगभग 2 घंटे पूर्व स्नान करके पीले या स्वेत स्वच्छ वस्त्र पहनकर तैयार हो जाना चाहिए। पूजा स्थल पर पीले कुशा के आसन पर बैठकर सीधे हाथ में थोड़ा सा जल, चावल, पुष्प लेकर एकादशी व्रत करने का संकल्प लें। भगवान श्री विष्णु जी के चतुर्भुज रूप का षोडशोपचार पूजा विधान सहित धुप, दीप, चंदन, ऋतुफल एवं नैवैद्य (मीठा) का भोग लगावें।

पापमोचिनी एकादशी व्रत पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

उपरोक्त विधि से पूजन करने के बाद नीचे दिए मंत्र का जप 551 बार तुलसी की माला से करें।

– मंत्र- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।।

पापमोचनी एकादशी के दिन नमक व शक्कर से बने पदार्थों का सेवन न करें। संभव हो तो दोनों समय निराहर ही रहे, नींबू पानी ले सकते हैं, एवं अगले दिन द्वादशी तिथि में सुबह पारण के बाद ही अपना व्रत खोलें। स्वयं भोजन करने से पहले किसी योग्य पंडित या गरीब को दान-दक्षिणा देकर व्रत खोलने से व्रत पूर्ण माना जाता है।

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सर्व पापमोचनी एकादशी व्रत मुहूर्त

पापमोचनी एकादशी तिथि 19 मार्च दिन गुरुवार को प्रात: सूर्योदय से पूर्व 4 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 20 मार्च दिन शुक्रवार को प्रात: 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी।

पापमोचिनी एकादशी व्रत पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

इस व्रत से होती है हर इच्छा पूरी

जो भी श्रद्धालु पापमोचनी एकादशी का उपवास रखते हैं वे पूरे उपवास काल में पवित्र रहे। घर या मंदिरों में विशेष भजन कीर्तिन का आयोजन करें। संभव हो तो श्रीमद्भगवत गीता का पाठ भी करें। मनोकामना पूर्ति के लिए इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सुबह एवं शाम दोनों समय आटे से बना 11 बत्ती वाला दीपक जलाकर 11 परिक्रमा लगायें। ऐसा करने से इच्छा पूर्ति के साथ सभी तरह के ज्ञात-अज्ञात पाप कर्मों के दुष्फल से मूक्ति मिल जाती है।

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