scriptSharad Purnima- साल मेें केवल इसी पूर्णिमा पर होती है माता लक्ष्मी के संग भगवान विष्णु की पूजा | PUJA VIDHI And IMPORTANCE OF SHARAD PURNIMA | Patrika News

Sharad Purnima- साल मेें केवल इसी पूर्णिमा पर होती है माता लक्ष्मी के संग भगवान विष्णु की पूजा

locationभोपालPublished: Oct 18, 2021 06:49:43 pm

साल भर की सभी पूर्णिमा में से क्यों है सबसे अधिक विशेष

sharad purnima importance

sharad purnima importance

हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। जिसे रास पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वहीं यह दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल भर की एक मात्र ऐसी पूर्णिमा व दिन है जब लक्ष्मी जी की पूजा भगवान विष्णु के साथ होती है।

दरअसल आपने भी देखा होगा कि माता लक्ष्मी की पूजा दिवाली के दिन श्री गणेश के साथ धनतेरस के दिन कुबेर जी के साथ आदि के साथ की जाती है। ऐसे में शरद पूर्णिमा एक मात्र ऐसा खास दिन है जब माता लक्ष्मी की पूजा भगवान विष्णु के साथ होती है।

sharad purnima-lord vishnu and laxmi puja

दरअसल हिंदुओं में पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। इस तिथि को पूर्णमासी भी कहा जाता है। भगवान विष्णु की पूजा के इस दिन स्नान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में साल में सामान्यत: 12 पूर्णिमा होती हैं, जिनमें हर पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा होती है, वहीं केवल शरद पूर्णिमा ही ऐसी है, जिस दिन भगवान विष्णु के साथ देवी माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।

ऐेसे में इस साल यानि 2021 में आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि मंगलवार, अक्टूबर 19 को है। यही दिन शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यानि 2021 में ये पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर, मंगलवार को 19:05:42 बजे से शुरु होकर बुधवार, 20 अक्टूबर 20:28:56 बजे तक रहेगी।

शरद पूर्णिमा के दिन देवी मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा विशेष मानी जाती है। मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के अवसर पर देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की कमी दूर होने के साथ ही जीवन में खुशहाली का आगमन होता है।

Must read- Sharad Purnima 2021 : चंद्रमा से बरसेगा खीर में अमृत

sharad purnima

शरद पूर्णिमा के कई नाम
शरद पूर्णिमा को देश के कई हिस्सों में कोजागरी पूर्णिमा, नवन्ना पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा और अश्विन पूर्णिमा जैसे अलग- अलग नामों से भी जाना जाता है। वहीं इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में, अविवाहित भी लड़कियां भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और एक उपयुक्त वर पाने के लिए शरद पूर्णिमा का व्रत रखती हैं।

श्री कृष्ण की महारास लीला
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने महारास लीला रचाई थी। इसके साथ ही शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की भी विशेष पूजा अर्चना करने का विधान है। इसी के तहत इस पूर्णिमा पर चंद्र देवता की खीर का भोग लगाया जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस रात आसमान से अमृत की बूंदे गिरती हैं, जिसके कारण खीर को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है, ऐसे में अमृत वर्षा से खीर भी अमृत के सामान हो जाती है। जिसके बाद इस खीर को प्रसाद मानकर ग्रहण किया जाता है।

जानकारों के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। नारदपुराण के अनुसार ऐसा माना गया है कि इस दिन लक्ष्मी मां अपने हाथों में वर और अभय लिए घूमती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी अपने जागते हुए भक्तों को धन और वैभव का आशीष देती हैं।

Must read- Sharad Purnima 2021-जानें शुभ मुहूर्त के साथ ही इस दिन क्या न करें

sharad purnima 2021

वहीं इस दिन शाम होने पर सोने, चांदी या मिट्टी के दीपक से आरती की जाती है।माना जाता है कि शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी जी के साथ ही भगवान विष्णु जी की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर होती है।

शरद पूर्णिमा की पूजन विधि
शरद पूर्णिमा के दिन ब्रह्ममुहूर्त मे पवित्र नदी में स्‍नान करना चाहिए है। लेकिन यदि किन्हीं कारणोंवश आप ऐसा करने में सक्षम न हों तो घर में पानी में ही गंगाजल मिलाकर मंत्र (गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।) का जाप करते हुए स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें।

इसके पश्चात लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्‍त्र बिछाते हुए स्‍थान को गंगाजल से पवित्र करें। फिर इस चौकी पर मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा स्‍थापित करें और लाल चुनरी पहनाएं। इसके साथ ही उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य और सुपारी आदि अर्पित करें। इसके बाद मां लक्ष्‍मी की पूजा करते हुए ध्‍यान करते हुए लक्ष्‍मी चालीसा का भी पाठ करें।

वहीं शाम को भगवान विष्‍णु के साथ ही माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्‍य दें और चावल और गाय के दूध से खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रख दें। खीर का भोग भगवान को भी लगाने के साथ ही रात्रि जागरण के पश्चात सुबह खीर को प्रसाद के रूप में पूरे परिवार को खिलाएं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो