
पुत्रदा एकादशी
Putrada Ekadashi 2023: पुत्रदा एकादशी नए साल 2023 में पड़ने वाली पहली एकादशी तिथि है। यह एकादशी तिथि 2 जनवरी 2023 को पड़ रही है। पौष शुक्ल एकादशी (Paush Shukl Ekadashi) की शुरुआत 1 जनवरी 2023 को शाम 7 बजकर 11 मिनट पर होगी और इसका समापन 2 जनवरी 2023 को शाम 8 बजकर 23 मिनट पर होगा। पुत्रदा एकादशी का पारण 3 जनवरी 2023 को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से 9 बजकर 25 मिनट तक किया जा सकेगा।
Putrada Ekadashi Puja Vidhi: प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय का कहना है कि पुत्रदा एकादशी व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ है, यह व्रत पुत्र प्राप्ति की कामना और संतान कल्याण की कामना को लेकर रखा जाता है। इसके अलावा नियम पूर्वक व्रत रखने वाले को जीवन मरण के चक्र से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन इस विधि से पूजा करनी चाहिए।
1. पुत्रदा एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी से ही हो जाती है, इस दिन शाम के बाद भोजन ग्रहण न करें और रात में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोएं।
2. पुत्रदा एकादशी व्रत (Putrada Ekadashi Vrat) के दिन सुबह सूर्योदय के समय स्नान (संभव हो तो गंगाजल से नहाएं) आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
3. अब घर के पूजा स्थल पर भगवान विष्णु के चित्र के सामने दीया जलाकर व्रत का संकल्प लें और कलश स्थापित करें।
4. कलश को लाल वस्त्र बांधकर पूजा करें, भगवान विष्णु की धातु की मूर्ति है तो गंगाजल से स्नान कराकर वस्त्र धारण कराएं।
5. धूप, दीप आदि से भगवान विष्णु की पूजा करें, आरती करें, सामर्थ्य अनुसार ऋतु मुताबिक पीला फल, पीले फूल, पंचामृत, तुलसी, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, आंवला आदि समस्त पूजन सामग्री भगवान को अर्पित करें। बाद में प्रसाद बांटें।
6. पूरे दिन निराहार व्रत करें, शाम को व्रत कथा सुनने के बाद फलाहार करें।
7. एकादशी की रात भजन कीर्तन करते हुए समय बिताएं।
8. एकादशी के दिन दीपदान अवश्य करें।
9. अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान दक्षिणा देकर पारण करें।
Putrada Ekadashi Vrat Katha: पुत्रदा एकादशी व्रत कथा भद्रावती नगर में सुकेतुमान से जुड़ी हुई है। राजा की पत्नी का नाम शैव्या था, राजा को कोई पुत्र नहीं था। इससे दोनों चिंतित रहते थे। हाल यह था कि एक वक्त उसने देह त्याग देने तक का विचार कर लिया था, हालांकि बाद में उसने इसे पाप समझकर यह विचार त्याग दिया। इस बीच एक दिन राजा इन्हीं विचारों के साथ वन भ्रमण के लिए निकला था। वन के सुरूचिपूर्ण दृश्य देखते आधा दिन बीत गया।
प्यास लगने पर पानी की तलाश के दौरान राजा मुनियों के आश्रम पहुंच गया, मुनियों को दंडवत प्रणाम कर बैठ गया। इससे प्रसन्न मुनियों ने राजा की इच्छा पूछी। मनुयों ने बताया कि आज संतान प्रदान करने वाली पुत्रदा एकादशी है। वे लोग विश्वदेव हैं और सरोवर में स्नान करने आए हैं। मुनियों ने राजा को व्रत की विधि बताई और राजा ने उस दिन व्रत रखा और द्वादशी को पारण के बाद महल लौटा। बाद में रानी को संतान की प्राप्ति हुई।
Updated on:
01 Jan 2023 07:50 pm
Published on:
01 Jan 2023 07:49 pm
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