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सावन माह में पार्थिव पूजा : रोगों व भय से मुक्ति के साथ ही देती है मोक्ष

पार्थिव शिवलिंग की ऐसे करें पूजा...

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Relation between savan Month and Parthiv shivaling pujan

Relation between savan Month and Parthiv shivaling pujan

सावन माह ( savan ) भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, इसी कारण शिव अराधना के लिए सावन माह सबसे उत्तम और विशेष रूप से फलदाई माना जाता हैं। इस पावन माह में पार्थिव शिवलिंग ( Parthiv Shivling ) निर्माण को विशिष्ट माना जाता है, वो इसलिए क्योंकि साधक खुद शिवलिंग का निर्माण करता है और पावन पार्थिव शिवलिंग की पूजा-अर्चना ( Parthiv shivaling pujan ) कर मोक्ष का अधिकारी बनता है। वहीं शास्त्रों के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का पूजन करने से करोड़ों यज्ञों के बराबर फल भी प्राप्त होता है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार हिंदू धर्म में सावन माह को भगवान शिव की भक्ति का महीना माना जाता है। शिव पुराण में भी इसका जिक्र है कि भगवान शिव का प्रिय माह सावन है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव का पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधिवत उसकी पूजा-अर्चना करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं सावन माह में भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग की विधिवत आराधना करने के क्या लाभ है और इसकी पूरी विधि...

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भगवान श्री राम ने भी किया था पार्थिव शिवलिंग का निर्माण
भगवान श्री राम नें भी लंका पर विजय पाने व रावण के साथ युद्ध करने से पहले पार्थिव शिवलिंग की पूजा की थी। श्री राम द्वारा इस पूजा को करने के बाद उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त की थी। भगवान श्री राम ही नहीं बल्कि न्याय के देवता शनिदेव ने भी सूर्य से अधिक शक्ति पाने के लिए काशी में पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान महादेव की पूजा की थी।

वहीं हिंदू धर्म की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलियुग में सबसे पहले कूष्मांड ऋषि के बेटे ने पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी आराधना की थी। माना जाता है कि शिवलिंग का विधिवत पूजन करने से जीवन में सुख, संपत्ति और शान्ति रहती है। साथ ही संतान सुख से वंचित दंपत्तियों की गोद भर जाती है और सभी दुखों से छुटकारा मिलता है।

ऐसे बनाए जाते हैं पार्थिव शिवलिंग
भगवान शिव की पार्थिव पूजा का विशेष महत्व माना जाता हैं क्योंकि पंचतत्वों में भगवान शिव पृथ्वी तत्व के अधिपति हैं। पार्थिव शिवलिंग एक या दो तोला शुद्ध मिट्टी लेकर बनाए जाते हैं। इस शिवलिंग को अंगूठे की नाप का बनाया जाता है। भोग और मोक्ष देने वाले इस पार्थिव शिवलिंग के पूजन को किसी भी नदी, तालाब के किनारे, शिवालय अथवा किसी भी पवित्र स्थान पर किया जा सकता है।

पहले इन देवों की करें पूजा
शिवलिंग बनाने के बाद गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करना चाहिए। फिर विधिवत तरीके से षोडशोपचार करना चाहिए। पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद उसे परम ब्रम्ह मानकर पूजा और ध्यान करें। मान्यता के अनुसार पार्थिव शिवलिंग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। सपरिवार पार्थिव शिवलिंग बनाकर शास्त्रवत विधि से पूजन करने से परिवार सुखी रहता है।

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पार्थिव शिवलिंग: इस तरह करें पूजा-
पार्थिव शिवलिंग की पूजा से पहले भगवान के सामने बैठकर मन ही मन पूजा का संकल्प पढ़ें। अब किसी साफ़ जगह पर पवित्र मिट्टी का फूल और चन्दन से शुद्धिकरण कर लें। अब भगवान शिव के मंत्रों का जाप करते हुए इस मिट्टी में गाय का दूध, गाय का गोबर, गुड़, भस्म और गाय के दूध का बना मक्खन बनाकर शिवलिंग का निर्माण करें। इस बात का ख्याल रखें कि पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके ही शिवलिंग बनाएं।

इस बात का ध्यान रखें कि यह शिवलिंग आठ इंच से ज्यादा ऊंचाई का न हो। माना जाता है कि इससे ज्यादा ऊंचे शिवलिंग की पूजा करने पर उसका फल नहीं मिलता है।

इस शिवलिंग की आराधना करते वक्त मन ही मन भगवान से कामना करें कि वो आपकी इच्छा पूरी करें और बेलपत्र, आक का फूल, धतूरा और बेल चढ़ाएं। इसके बाद दूध और गंगाजल को मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद शिवलिंग पर प्रसाद अर्पित करें, लेकिन ये प्रसाद न खुद ग्रहण करें और न ही किसी को खाने को दें।

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पार्थिव शिवलिंग के सामने करें इस मंत्र का जप, रोगों से मिलेगी मुक्ति...
माना जाता है कि पार्थिव शिवलिंग के समक्ष समस्त शिव मंत्रों का जप किया जा सकता है। रोग से पीड़ित लोग महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं। दुर्गासप्तशती के मंत्रों का जप भी किया जा सकता है। पार्थिव शिवलिंग के विधिवत पूजन के बाद उनको श्रीराम कथा भी सुनाकर प्रसन्न कर सकते हैं।

भय से मुक्ति और मोक्ष का माध्यम हैं पार्थिव शिवलिंग
कलयुग में मोक्ष की प्राप्ति और व्यक्ति की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पार्थिव पूजन सबसे उत्तम माना जाता है। मान्यता के अनुसार पार्थिव पूजन से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं। हिंदू धर्म में जितने भी देवताओं की पूजन विधियां है, उसमें पार्थिव पूजन के द्वारा शिव की साधना-अराधना ही सबसे आसान और अभीष्ट फल देने वाली है।