शनि जयंती अमावस्या 3 जून सोमवार को है, इसे पितृकार्येषु अमावस्या के रुप में भी मनाया जाता है. इस दिन कालसर्प दोष, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह अत्यंत दुर्लभ दिन माना गया है। सूर्य और छाया के पुत्र शनिदेव इस दिन के विशेष पूजन से प्रसन्न हो अनेक मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इस मंदिर में साक्षात विराजमान है भगवान साईं नाथ, पल भर में कर देते हैं मनोकामना पूरी
शनि का अभिषेक ऐसे करें
शनि जयंती के दिन शनि देव का पूजन कर तेल से अभिषेक करने पर शनि की साढेसाती, ढैय्या और शनि की महादशा, संकट और कई आपदाओं से भी मुक्ति मिल जाती है। शनि जयंती के दिन जो भी व्यक्ति अपने पूर्वज पितरों का श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है, उनकी कुण्डली में अगर पितृदोष या अन्य दोषों के कारण कोई पीड़ा हो रही हो तो वे शांत होने लगती है। इस दिन दान करने से अद्भूत लाभ एवं शनिदेव की अनुकंपा से पितरों का उद्धार बड़ी ही सहजता से हो जाता है।
पितृदोष निवारण पूजन
1- इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद शनिदेव का आवाहन, दर्शन कर नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत अर्पण करें।
2- शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नम:”, या बीज मंत्र “ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का कम से कम 108 बार चंदन की माला से जप करें।
3- इस दिन सरसों के तेल, उडद, काले तिल, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री को शनिदेव को भेट करना चाहिए।
4- इस शनि देव का तैलाभिषेक जरूर करें।
आने वाली है शनि जयंती, चाहते हैं प्रसन्न करना तो आज से ही कर लें ये तैयारी
5- इस दिन शनि चालीसा, श्री हनुमान चालीसा या फिर बजरंग बाण का पाठ करना ही चाहिए।
6- जिनकी कुंडली या राशि पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव हो वें शनि जयंती के दिन शनिदेव का विधिवत पूजन जरूर करें।
7- इस दिन शनि स्तोत्र का पाठ करने के बाद शनि देव की कोई भी वस्तु जैसे काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं।
8- अगर इस दिन कहीं की यात्रा पर जा रहे हो तो जाने से पहले- शनि नवाक्षरी मंत्र अथवा “कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत: ।।” को 11 बार पढ़ने के बाद ही यात्रा करने से किसी भी तरह की बधाएं नहीं आती।
******************