Holi : जलती होली की लौ एवं धुआं करता है “होनी-अनहोनी” की भविष्यवाणी, जानें कैसे..
सबसे पहले इन सामग्रियों को करें इकट्ठा-
पूजा सामग्री में एक लोटा गंगाजल या ताजा शुद्ध जल, रोली, खुले फूल व 4 फूल माला, सात रंग में रंगे रंगीन चावल, सुगंधित धूप, गुड़ या मिठाई, कच्चा सूत, साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल एवं नई फसल के अनाज गेंहू की बालियां, पके चने एवं गोबर से बनी ढाल आदि।
होलिका दहन एवं पूजन का शुभ मुहूर्त
09 मार्च दिन सोमवार को फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ सुबह 03:03 बजे हो रहा है।
जिसका समापन उसी रात 11:17 बजे होगा। इस दिन होलिका दहन करने के लिए मुहूर्त का कुल समय 02 घण्टे 26 मिनट ही है।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त- शाम 6 बजकर 26 मिनट से रात 8 बजकर 52 मिनट तक
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ऐसे करें होलिका दहन से पहले और बाद में पूजन
– होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के समय चार मालाएं- मौली, फूल, गुलाल, ढाल और खिलौनों से बनाई हुई।
– एक माला पितरों के नाम की, दूसरी श्री हनुमान जी के लिये, तीसरी शीतला माता के लिए और चौथी घर परिवार के नाम की।
– सभी पूजन सामग्री को नीचे रखकर होली के चारों ओर सात परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत को सात बार लपेटे।
– अब पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन कर जल से अर्घ्य दें।
– पूजन के बाद 5 बार गायत्री मंत्र बोलते हुये होलिका को अग्नि से दहन करें।
– होलिका दहन के बाद पहले थोड़ा सा शुद्ध जल अर्पित करने के बाद सभी अन्य पूजा सामग्रियों को एक एक कर जलती होलिका में अर्पित करें।
– पूजन के बाद भगवान नरसिंह के निमित्त जलती होलिका में कच्चे आम, नारियल, गेहूं, उड़द, मूंग, चना, चावल जौ और मसूर, चीनी के खिलौने, नई फसल आदि को एक साथ मिलकार 11 आहुति प्रदान करें।
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