scriptइस व्रत को करने वाला कभी नहीं होता परास्त | Vijaya Ekadashi: never get defeated who get this fast | Patrika News

इस व्रत को करने वाला कभी नहीं होता परास्त

locationभोपालPublished: Feb 18, 2020 12:08:56 pm

Submitted by:

Devendra Kashyap

विजया एकादशी का व्रत रखने वाला जीवन में कभी भी परास्त नहीं होता

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हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि महीने में दो बार एकादशी आती है। पहला शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना अलग महत्व है।

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी महाशिवरात्रि से दो दिन पहले पड़ती है। इस वर्ष विजया एकादशी 19 फरवरी को पड़ रही है जबकि महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनाया जाएगा।

भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने विजया एकादशी का महत्व युधिष्ठिर को बताया है। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने भी इस व्रत को किया था, तब ही समुद्र ने भगवान राम को मार्ग दिया था और वे रावण को पराजित कर पाए थे। यही कारण है कि इस एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है।

मान्यता है कि जो भी विजया एकादशी का व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में तेजी से आगे बढ़ता है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने वाला जीवन में कभी भी परास्त नहीं होता है।

कब है विजया एकादशी?

एकादशी तिथि प्रारंभ: 18 फरवरी को दोपहर 2.32 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त: 19 फरवरी को दोपहर 3.02 बजे तक
विजया एकादशी तिथि: 19 फरवरी 2020


विजया एकादशी के दिन क्या करें?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विजया एकादशी के दिन व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करने के पश्चात व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर पर गंगाजल से छिड़काव करें फिर रोली और चावल का तिलक लगाकर घी का दीपक से आरती करें।

पूजा करने के बाद आप हर दिन की तरह अन्य काम कर सकते हैं। ध्यान रखें कि व्रत करने वाले पूरे दिन मन ही मन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान करें। शाम के समय आरती करने के पश्चात फलाहार कर सकते हैं। एकदाशी के अगले दिन समय पर पारण करें।
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