Published: Jan 03, 2019 10:24:59 pm
Saurabh Sharma
कृषि और लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को कर्ज का निर्धारित लक्ष्य हासिल करने में बैंकिंग क्षेत्र असफल रहा है।
RBI Recruitment 2018
नई दिल्ली। कृषि और लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को कर्ज का निर्धारित लक्ष्य हासिल करने में बैंकिंग क्षेत्र असफल रहा है। यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआर्इ) ने जारी किया है। हालांकि सरकारी बैंकों ने खेती के लिए निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर लिया है, लेकिन निजी और विदेशों बैंक इसमें असफल रहे। सरकारी बैंकों के लिए यह लक्ष्य 18 फीसदी, निजी बैंकों के लिए 16.2 फीसदी और विदेशी बैंकों के लिए 16.7 फीसदी है।
किसान क्रेडिट कार्ड में भी बड़ी गिरावट
आरबीआर्इ की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में कृषि के लिए कर्ज लक्ष्य पर विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा कर्जमाफी की योजनाओं का भी प्रभाव पड़ा है। सालाना आधार पर 2017-18 में कृषि कर्ज में बढ़ोतरी 3.8 फीसदी रही जबकि 2016-17 में यह आंकड़ा 12.4 फीसदी था। इसके अलावा 2017-18 में सक्रिय किसान क्रेडिट कार्ड में भी बड़ी गिरावट आई। मार्च 2018 तक कुल कर्ज में कृषि की हिस्सेदारी 13 फीसदी थी लेकिन कुल गैर-निष्पादित संपत्तियों में उनकी हिस्सेदारी महज 8.6 फीसदी रही। हालांकि एमएसएमई के लिए दिए गए 6 फीसदी कर्ज का 9.5 फीसदी एनपीए था।
आरबीआर्इ ने बनाई एमएसएमई समिति
आरबीआर्इ ने लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) की समस्याओं के समाधान पर सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है। आठ सदस्यों की इस समिति का प्रमुख सेबी के पूर्व चेयरमैन यूके सिन्हा को बनाया गया है। यह समिति एमएसएमई छोटी कंपनियों को समय पर और पर्याप्त कर्ज नहीं मिल पाने की वजहों पर गौर करेगी। इसकी रिपोर्ट जून तक आएगी।