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RBI के मुनाफे पर सरकार को निराशा, बजट से ठीक पहले फंसा पेंच

Bimal Jalan Committee की रिपोर्ट में देरी।
RBI Dividend को बजट में शामिल करना चाहती थी सरकार।
सरकार को लाभांश देने के पक्ष में नहीं है बिमल जालान कमेटी।

नई दिल्लीJul 01, 2019 / 08:41 pm

Ashutosh Verma

RBI and Government

RBI के मुनाफे पर सरकार को निराशा, बजट से ठीक पहले फंसा पेंच

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ( ministry of finance ) को भारतीय रिजर्व बैंक ( reserve bank of india ) की तरफ से निकट भविष्य में कोई लाभांश ( Dividend ) नहीं मिलेगा। rbi ने पूर्व गवर्नर बिमल जालान ( Bimal Jalan ) की अध्यक्षता में एक नई कमेटी बनाया है जो यह तय करेगी कि आरबीआई के इस लाभांश का कैसे उपयोग किया जाए।

शुरुआती जानकारी के मुताबिक, यह पैनल इस लाभांश का उपयोग कई जरूरी कार्यों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है। पैनल का मद है कि यह रकम सरकारी कर्ज चुकाने या सरकारी बैंकों को पूंजीगत सहायता देने के लिए किया जाना चाहिए।


बजट में शामिल नहीं कर सकेगी सरकार

अभी तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह पैनल आगामी 16 जुलाई को अपनी रिपोर्ट जमा करेगी। ऐसे में पैनल के इस कदम के बाद 5 जुलाई को पेश होने वाले बजट ( Budget 2019 ) में इसे शमिल नहीं कर सकेगी। इसके पहले सरकार को उम्मीद थी कि समय रहते इस पैनल की रिपोर्ट के बाद बजट में इसे शामिल कर लिया जायेगा। सरकार की तरफ इस पैनल में भाग ले रहे वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ( Subhash Chandra Garg ) ने पैनल के अन्य सदस्यों से मतभेद जाहिर किया है। अब इस रिपोर्ट के ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने से पहले सरकार के मतभेद पर पूर्नविचार किया जा रहा है। गर्ग ने इस मामले से प्रधानमंत्री कार्यालय ( PMO ) को भी अवगत कराया है।

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पिछले साल सामने आया था आरबीआई व वित्त मंत्रालय में मतभेद

इसके पहले भी सरकार ने साफ किया था कि वह इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क ( Economic Capital Framework ) का रिव्यू कराना चाहती है और आरबीआई के फंड पर उसकी नजर नहीं है। हालांकि, दोनों पक्षों के बीच यह मतभेद का मसला भी रहा है। पिछले साल ही सरकार ने आरबीआई एक्ट 47 का हवाला देते हुए कहा था कि फंसे कर्ज, संपत्तियो की मूल्यों में गिरावट, कर्मचारियों और व अन्य फंड का बोझ बैंकर्स द्वारा उपलब्ध कराया जाना चाहिए। आरबीआई का लाभांश सरकार को दिया जाना चाहिए।

उस दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार बस आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 के तहत केंद्रीय बैंक के कैपिटल फ्रेमवर्क पर विचार कर रही है। जेटली ने कहा था, “हमें वित्तीय घाटे की भरपाई करने के लिए इस फंड की जरूरत नहीं है। हम एक रुपया भी नहीं चाहते हैं।”

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कौन-कौन है इस पैनल का सदस्य

केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाले इस 6 सदस्यीय पैनल का गठन पिछले 26 दिसंबर को किया गया था। वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच मतभेद सामने आने के बाद इस पैनल का गठन किया गया था। इस पैनल के अन्य सदस्यों में आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन, मौजूदा डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन, और आरबीआई के दो बोर्ड मेंबर्स शामिल हैं, जिनका नाम भरत दोशी और सुधीर मनकड़ है। वहीं, सरकार की तरफ से इस पैनल में वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग भी हैं।

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