
Finance Ministry to investigate capital requirement of PSBs in Q4
नई दिल्ली। करीब 3 महीने के कोरोना वायरस लॉकडाउन ( Coronavirus Lockdown ) के कारण गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों ( NPA ) यानी फंसे हुए कर्ज में तेजी देखने को मिल सकती है। यह आंकड़े चौथे तिमाही में पता चलेंगे। उसी के बाद फाइनेंस मिनिस्ट्री ( Finance Ministry ) की ओर से इस बात का रिव्यू किया जाएगा कि सरकारी बैंकों ( Government Bank ) को कितनी पूंजी की जरुरत होगी। उसी समय में स्पष्ट हो जाएगा कि खराब लोन ( Bad Loan ) में कितनी बढ़ोतरी होगी। अगर ऐसी स्थिति पैदा होती है तो रिजर्व बैंक के गाइडलाइंस ( RBI Guidline ) के तहत बैंकों को एनपीए के लिए किया जाने वाले प्रावधान बढ़ाना पड़ेगा।
तब पड़ेगी बैंकों को कैपिटल की जरुरत
मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों ने कहा है कि यदि आरबीआई कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित सेक्टर्स के लिए डेट रीस्ट्रक्चरिंग के रिक्वेस्ट को मंजूरी देता है तो बैंकों को राहत मिलने की संभावना है। वहीं लोन ईएमआई चुकाने के लिए जो राहत दी गई है वो सीमा भी खत्म हो रही है। जिसके बाद ही एनपीए आंकड़े स्पष्ट होंगे। ऐसे में एक बार जब दूसरी तिमाही के आंकड़े स्पष्ट होंगे, तभी कैपिटल नीड का रिव्यू किया जाएगा। सीआईआई के अध्यक्ष उदय कोटक के अनुसार इकोनॉमी बैलेंस देने के लिए सरकारी बैंकों को आर्थिक मदद की जरुरत होगी। उनके अनुसार प्राइवेट सेक्टर के बैंकों को आगे के चैलेंज से जूझने के लिए दूसरे सोर्स से कैपिटल जुटाना होगा।
तीन से चार लाख करोड़ की है जरुरत
उदय कोटक की ओर से पिछले महीने ही कहा गया था कि बैंकिंग सेक्टर की लोन जरुरतों को पूरा करने के लिए तत्काल तीन से चार लाख करोड़ रुपए के रीकैपिटलाइजेशन की जरूरत है। आपको बता दें के बैंकिंग सेक्टर के एनपीए में वित्त वर्ष 2020-21 में 4.5 फीसदी की तेजी का अनुमान है। सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपए की पूंजी डालने को कहा था। जिसके तहत सरकार 65,443 करोड़ रुपए पिछले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों में अलग-अलग उपायों के जरिए दे चुकी है।
Updated on:
06 Jul 2020 03:50 pm
Published on:
06 Jul 2020 03:46 pm
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