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भारत का सबसे बड़ा मार्केट साबित हो सकता है नाॅर्थ कोरिया, पहले कुछ एेसे होता था व्यापार

जब भारत ने यूएन के प्रतिबंध लगाने के बाद नाॅर्थ कोरिया पर प्रतिबंध लगाया था, तब भारत, उत्तर कोरिया का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार था

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Saurabh Sharma

Jun 12, 2018

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भारत का सबसे बड़ा मार्केट साबित हो सकता है नाॅर्थ कोरिया, पहले कुछ एेसे होता था व्यापार

नर्इ दिल्ली। अमरीका आैर नाॅर्थ कोरिया के राष्ट्राध्यक्षों के बीच की वार्ता को सफल माना जा रहा है। इस सफल वार्ता में भारत की भी सबसे बड़ी सफलता छिपी हुर्इ है। क्योेंकि जो व्यापार भारत का व्यापार नाॅर्थ कोरिया से बंद हो गया था वो शुरू होने की संभावनाए बढ़ गर्इ है। साथ ही नए व्यापारिक संबंध बनने की संभावनाआें के बीज अंकुरित हो गए हैं। आइए आपको भी बताते हैं किस तह से नाॅर्थ कोरिया भारत के लिए किस तरह से बड़ा मार्केट साबित हो सकता है। साथ उसके किस तरह से व्यापारिक संबंध रहे हैं?

कुछ एेसा रहा है भारत के साथ व्यापार
- जब भारत ने यूएन के प्रतिबंध लगाने के बाद नाॅर्थ कोरिया पर प्रतिबंध लगाया था, तब भारत, उत्तर कोरिया का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार था।
- पाबंदी लगाए जाने से पहले भारत और उत्तर कोरिया के बीच करोड़ों रुपया आपसी कारोबार था।
- सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2014-2015 में भारत ने कोरिया को 7.65 करोड़ डॉलर का निर्यात किया था, जबकि इसी दौरान भारत ने वहां से 13.25 करोड़ डॉलर मूल्य के सामानों का आयात भी किया था।
- भारत मुख्य तौर पर उत्तर कोरिया को खाद्य तेल, कपास, कपड़ा, खनिज अयस्क, ड्रग्स, रसायन, रत्न-आभूषण, धातु और मांस का निर्यात करता है।
- उत्तर कोरियाई सरकार भारत से ज़्यादा से ज़्यादा कंज्यूमर प्रॉडक्ट मंगाने में दिलचस्पी दिखाती रही है।

इन चीजों पर लगार्इ गर्इ पाबंदी
- भारत की आेर से नाॅर्थ कोरिया पर जिन उत्पादों के कारोबार पर कर्इ रतह की पाबंदी लगाई गई है।
- उनमें रक्षा संबंधी उपकरण, टैंक, सशस्त्र वाहन, सशस्त्र एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, मिसाइल और हल्के हथियार शामिल हैं।
- कारोबार के अलावा भारत ने उत्तर कोरिया के लिए सभी तरह के ट्रेनिंग पर पाबंदी लगा दी है- पुलिस और मिलिट्री ट्रेनिंग, भौतिक विज्ञान, विमानिकी और न्यूक्लीयर इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग इनमें शामिल हैं।

अब सभी पाबंदी हटने के आसार
ट्रंप आैर किम के बीच जिस तरह से मुलाकात हुर्इ है उसके बाद से नाॅर्थ कोरिया द्वारा अपने परमाणु हथियारों को छोड़ने के संकेत मिल रहे हैं। अगर एेसा होता है तो यूएन समेत युरोप आैर अमरीका के तमाम देश व्यापारिक संबंधों को एक बार फिर से बहाल कर देंगे। जिसके बाद भारत आैर नाॅर्थ कोरिया के बीच एक बार फिर से व्यापारिक रिश्तों में सुधार आएगा। ताज्जुब की बात तो ये है भारत द्वारा नाॅर्थ कोरिया पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी कूटनीतिक संबंध खराब नहीं हुए हैं। भारत की एक्ट र्इस्ट पाॅलिसी का नाॅर्थ कोरिया बड़ा साझेदार है। एेसे में इस मुलाकात के सफल होने का भारत को बड़ा फायदा मिलने जा रहा है।