
नई दिल्ली। देश में बढ़ती आर्थिक मंदी के कारण मोदी सरकार सवालों के बीच घिर गई है। इसी बीच सरकार के लिए एक और बड़ी मुश्किल सामने आई है। चालू वित्त वर्ष में सरकार का टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य से काफी पीछे है। इस बार भी सरकार टैक्स कलेक्शन के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई है। इसके साथ ही विपक्ष भी सरकार के ऊपर काफी सवाल उठा रहा है।
आंकड़ों से मिली जानकारी
17 सितंबर को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार सरकार का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 4.7 फीसदी बढ़कर 5.50 लाख करोड़ रुपये रहा है। वहीं, इससे पिछले वित्त वर्ष में सरकार का टौक्स कलेक्शन 5.25 लाख करोड़ रुपये रहा था। फिलहाल इस साल पूरे वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 17.5 फीसदी की दर से बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है।
मंदी के कारण आई गिरावट
सरकार का टैक्स कलेक्शन कम रहने का प्रमुख कारण डिमांड में कमी आना है। इसके साथ ही इस वित्त वर्ष में प्रोडक्शन में भी काफी कमी आई है, जिसके कारण सरकार अपने लक्ष्य से काफी पीछे है। वहीं, विपक्ष का मानना है कि देश में बढ़ती आर्थिक मंदी के कारण ही सरकार के टैक्स कलेक्शन में गिरावट आई है।
दोगुनी रफ्तार से सरकार करे वृद्धि
जल्द ही सरकार अपनी दूसरी तिमाही के आंकड़ें पेश करेगी और सरकार के टैक्स कलेक्शन की रफ्तार काफी कम है, जिसके कारण इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार को अपनी रफ्तार को दोगुना करना होगा। वरिष्ठ टैक्स जानकार ने इस संबध में जजानकारी देते हुए मीडिया को बताया कि आज की तारीख तक कुल टैक्स कलेक्शन 5.5 लाख करोड़ रुपये रहा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 5.25 लाख करोड़ रुपये था। नेट कलेक्शन 4.5 लाख करोड़ रुपये रहा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4.25 लाख करोड़ रुपये रहा था।
बढ़ रहा राजकोषीय घाटा
इस दौरान सरकार का राजकोषीय घाटा उसके पूरे वर्ष के बजट अनुमान का 77 फीसदी से आगे निकल चुका है। आंकड़े बताते हैं कि जुलाई में राजकोषीय घाटा 5.47 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जबकि पूरे वर्ष के लिए बजट में 7.03 लाख करोड़ रुपये रखा गया है।
Updated on:
19 Sept 2019 12:46 pm
Published on:
19 Sept 2019 12:45 pm
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