
नई दिल्ली. करीब 10 साल पहले यूनिटेक को भारत की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी माना जाता था। लेकिन आज हालात ये कि कंपनी पर करोड़ों का कर्ज चढ़ चुका है और कंपनी को सरकार अपने कंट्रोल में ले रही है। यूनिटेक साल 2003 से 2008 के दौरान काफी तेजी से आगे बढ़ी। लेकिन 2008 के बाद कंपनी पर ग्रहण लगना शुरु हो गया। पहले कंपनी के एमडी संजय चंद्रा 2 जी घोटाले में फंसे फिर 2009 के बाद रियल एस्टेट में गिरावट का दौर आने लगा, जिससे कंपनी को काफी नुकसान हुआ।
टेलिनॉर को बेचनी पड़ी 67 फीसदी हिस्सेदारी
यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा की कंपनी यूनिटेक वायरलेस ने देश भर में 2 जी स्पेक्ट्रम के लिए टेलिकॉम लाइसेंस के लिए बोली लगाई और लाइसेंस हासिल किया। लेकिन 2008 के बाद कंपनी ने टेलिनॉर को अपनी 67 फीसदी की हिस्सेदारी करीब 6000 करोड़ में बेच दी।
2 जी घोटाले ने तोड़ी कमर
2 जी घोटाले में कनिमोझी, डी राजा समेत कई राजनेताओं के साथ साथ कई कॉरपोरेट भी फंसे। इसी घोटाले में यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा की भी गिरफ्तारी हुई जिसके बाद कंपनी की साख बाजार में कम होती गई। यूनिटेक की परेशानी और बढ़ी क्योंकि एक ओर पैसे की कमी हो गई और दूसरी ओर 2जी स्कैम में उनके प्रमोटर्स जेल में थे।
कर्ज के बोझ तले कंपनी
यूनिटेक पर करीब 15,000 एफडी होल्डर्स का 723 करोड़ रुपया बकाया है। जिसमें जेएम फाइनैंस का 870 करोड़, एचडीएफसी लि. का 250 करोड़, एसआरईआई इन्फ्रास्ट्रक्चर का 154 करोड़ रुपए और एलआईसी का 131 करोड़ रुपए शामिल है। वहीं यूनिटेक को अपने अटके प्रॉजेक्ट्स को पूरा करने के लिए 900 करोड़ रुपए की जरूरत है।
मार्केट कैप घटकर 1906 करोड़
कंपनी की खस्ता हालत की मार इसके मार्केट कैप पर भी पड़ी। अभी बीएसई पर कंपनी का मार्केट कैप 1906.07 करोड़ है। हालांकि अब सरकार के कंट्रोल में लेने के फैसले से यूनिटेक के निवेशकों को उनका मकान समय पर मिलना तय हो गया है।
Updated on:
09 Dec 2017 11:39 am
Published on:
09 Dec 2017 11:31 am
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