
फिरोजाबाद। छत्तीसगढ़ के एक जिले से निकली प्रतिभा ने शहर की कायापलट कर रख दी। जिस राज्य में बेटियों की पढ़ाई पर बंदिशें लगाई जाती है। समय से पहले ही उनकी शादी कर दी जाती है तो किसी को घर में कैद कर रख लिया जाता है। परिवार के सपोर्ट के बाद महज 26 साल की उम्र में आईएएस बनकर फिरोजाबाद की काया ही पलटकर रख दी। फिरोजाबाद जिले की डीएम नेहा शर्मा ऐसे लोगों के लिए मिसाल हैं जो बहन-बेटियों के लिए जो कुछ कर गुजरने की तमन्ना दिल में रखते हैं। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने पत्रिका को दिए साक्षात्कार में बताई अपने जीवन की सफलता की कहानी।
1984 में हुआ थ जन्म
जिलाधिकारी नेहा शर्मा का जन्म 13 फरवरी 1984 को छत्तीसगढ़ के जिला कोरिया में हुआ था। इनके माता-पिता दोनों पेशे से डाॅक्टर हैं। पिता डाॅ. आरके शर्मा और मां डाॅ. रजनी शर्मा के अलावा घर में एक छोटा भाई संकल्प शर्मा जो डाॅक्टरी की तैयारी कर रहे हैं। एक छोटी बहन निष्ठा शर्मा जो बड़ी बहन की सफलता को देखते हुए यूपीएससी की तैयारी कर रहीं हैं।
इन स्कूलों में ग्रहण की शिक्षा
नेहा शर्मा बताती हैं कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा के अच्छे इंतजाम नहीं थे। कक्षा छह की पढ़ाई उन्होंने वहीं रहकर की। इसके बाद माता-पिता ने उन्हें ग्वालियर के बोर्डिंग सिंधिया स्कूल में दाखिला करा दिया था। जहां उन्होंने कक्षा 12 तक की शिक्षा ग्रहण की। उच्च शिक्षा के लिए वह दिल्ली चली गई। जहां मिरांडा हाउस विश्व विद्यालय से उन्होंने बीए और उसके बाद दिल्ली काॅलेज आॅफ इकोनोमिक्स से मास्टर की डिग्री प्राप्त की।
यूपीएससी में प्राप्त की 66वीं रैंक
मास्टर की पढ़ाई करने के साथ ही वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहीं थी। वर्ष 2010 में यूपीएससी की परीक्षा में 66वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस में चयनित हुई। दो साल की ट्रेनिंग के बाद उन्हें यूपी कैडर दिया गया।
बागपत में मिली पहली पोस्टिंग
उनकी पहली पोस्टिंग वर्ष 2012 में बागपत में बतौर एसडीएम के पद पर हुई। 2013 में वह कानपुर सदर में एसडीएम और वर्ष 2014-15 में उन्नाव की सीडीओ के पद पर रहीं। तीन मार्च 2017 को फिरोजाबाद में पहली बार डीएम के पद पर कार्यभार ग्रहण किया।
पति हैं आईआरएस कस्टम में
जिस तरह डीएम नेहा शर्मा ने फिरोजाबाद के अंदर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उसके बाद हर कोई उनके बारे में पढना और जानना चाहता है। हम आपको बताते हैं कि डीएम नेहा शर्मा के पति का नाम दर्पण है और वह मेरठ में आईआरएस कस्टम विभाग में कार्यरत हैं। उनकी एक तीन साल की बेटी है। जिसका नाम पोयम है।
लोगों की समस्याओं का निदान कराना है मकसद
डीएम का कहना है कि उनका मकसद लोगों की समस्याएं सुन उनका निदान कराना है। वह जनता के बीच रहना चाहती हैं। उनके दुख दर्द को बांटकर उनके चेहरे पर खुशी देने का प्रयास करती हैं। डीएम का कहना है कि उनका यह सदैव प्रयास रहेगा कि उनके दरवाजे पर आने वाले व्यक्ति की समस्या सुन उनका निराकरण कराएं।
Published on:
24 Apr 2018 02:15 pm
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