
आम बोलचाल की भाषा में हम अक्सर ‘हैलो’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं। हैलो कहते ही हमारे चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है, क्योंकि इसका मतलब होता है, एक-दूसरे का हालचाल जानना। कभी सोचा है कि ‘हैलो’ शब्द की खोज कैसे हुई? इस शब्द के अस्तित्व में आने की कहानी बड़ी रोचक है।
माना जाता है कि एडिसन वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने पहली बार टेलीफोन पर ‘हैलो’ बोला था। लेकिन एडिसन ने ‘हैलो’ शब्द की खोज नहीं की थी। सच्चाई यह है कि यह शब्द वर्ष 1885 में टेलीफोन के आविष्कार के वर्षों पहले से अस्तित्व में है।
प्राचीन काल में लोग एक-दूसरे का सत्कार ‘हॉलो’ शब्द से करते थे। यह शब्द ओल्ड फ्रेंच शब्द ‘होला’ से आया है, जिसका मतलब होता है- ‘स्टॉप।’ वर्ष 1883 में नोहा वेबस्टर की डिक्शनरी में भी ‘हैलो’ शब्द को शामिल किया गया था।
जब तक टेलीफोन अस्तित्व में आया, अमरीकी एक दूसरे को ग्रीट करने के लिए ‘हूलो’ शब्द का प्रयोग करते थे, जो धीरे-धीरे ‘हैलो’ में बदल गया। टेलीफोन की खोज के बाद ‘हैलो’ कांटेक्ट बनाने और ग्रीट करने के लिए यूनिवर्सल शब्द बना। यानी एडिसन को ‘हैलो’ शब्द को मशहूर करना और हमारी जिंदगी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनाने का श्रेय जाता है।
वर्ष 1885 में टेलीफोन के निर्माता एलेग्जेंडर ग्राहमबैल को ‘हैलो’ शब्द पसंद नहीं था और वे इसकी जगह ‘एहोए’ को टेलीफोनिक ग्रीटिंग के लिए इस्तेमाल करने के समर्थक बने। जल्द ही यह एक जनरल ग्रीटिंग बन गया। वेबस्टर की डिक्शनरी ‘हैलो’ का अर्थ ग्रीटिंग प्रिंट करती रही, जबकि ग्राहमबैल इसका पूरी जिंदगी विरोध करते रहे। वे इसकी जगह ‘एहोए’ को अहमियत देते रहे। लेकिन डिक्शनरीज ‘हैलो’ को अंग्रेजी भाषा के स्टैंडर्ड ग्रीटिंग शब्द के रूप में प्रमोट करते रहे और इस वर्डवॉर में ‘हैलो’ को जीत मिल गई।
Published on:
12 Jun 2021 06:15 pm
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