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बड़ी लापरवाहीः मरीजों को बांटी जा रही बैन हो चुकी कंपनी की पैरासिटामॉल सीरप

खराब असर मिलने के बाद शासन ने किया था बैन

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ghaziabad

गाजियाबाद. महानगर गाजियाबाद में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जमकर लापरवाही बरती जा रही है। चिकित्सा विभाग के महानिदेशक और ड्रग कंट्रोलर ने जिस दवा के वितरण पर रोक लगा रखी है। इसके बादवजूद ये प्रतिबंधित दवा की दस हजार से ज्यादा सीरप मरीजों को बांटी जा चुकी है। इसके साथ ही विभाग के डॉक्टर और अधिकारियों का कहना है कि उनके पास इस दवा को प्रतिबंधित घोषित करने वाले कोई आदेश नहीं आए हैं।

यूपी और बिहार में होती थी सप्लाई
राजस्थान की जीवन रक्षक दवा बनाने वाली कंपनी एड्रायट फार्मा की ओर से पैरासिटामॉल कफसीरप की आपूर्ति उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार और राजस्थान में की जाती है। इस कंपनी के सीरप की पड़ताल के दौरान खुलासा हुआ था कि गुणवत्ता के मामले में ये सीरप असर विहीन है। मामला खुलने पर महानिर्देश चिकित्सा स्वास्थ्य और ड्रग कंट्रोलर ने आदेश जारी कर इन सीरपों के वितरण पर रोक लगा दी थी। बावजूद इसके पांच हजार शीशी फिर से संयुक्त अस्पताल गाजियाबाद की तऱफ से मंगा ली गई।

ड्रग इंस्पेक्टरों की भूमिका पर सवाल
बीमारी पर काबू पाने में बेअसर पैरासिटामॉल सीरप मरीजों में वितरण किए जाने के मामले में जिले में तैनात ड्रग इंस्पेक्टरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य के साथ प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर की ओर से भी सीरप मरीजों में वितरण नहीं करने के आदेश दिए गए थे। इसके बाद भी ये प्रतिबंधित दवा बंटने पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ड्रग कंट्रोलर के आदेशों को किन कारणों से नजर अंदाज किया गया ?

क्या ड्रग कंट्रोलर को भी नहीं मिले आदेश
जानकारों का तर्क है कि महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य के आदेश जिला मुख्यालय तक नहीं पहुंचे, लेकिन ड्रग कंट्रोलर के आदेश निश्चित तौर से ड्रग इंस्पेक्टरों तक पहुंचे होंगे। वहीं, जिला अस्पताल के जानकारों का तर्क है कि अब आदेश की प्रति सीधे नेट से मेल के माध्यम से भेजे जाने की व्यवस्था तय की गई है। महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य के आदेश मेल पर भी भेजे जा सकते थे। मेल तो तत्काल उपलब्ध होती है। ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि किन कारणों से ऐसी लापरवाही बरती जा रही है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जताई अनभिज्ञता
जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एनके गुप्ता ने पूरे मामले को लेकर अनभिज्ञता जाहिर की है। वहीं, एमएमजी अस्पताल के अधीक्षक डॉ जेके त्यागी बताते हैं कि महानिदेशक का आदेश अस्पताल प्रशासन को नहीं मिला है।