
गाजियाबाद. कृषि कानून के विरोध में पिछले 11 महीने से दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों को कभी भी जबरन हटाया जा सकता है। ऐसा धरनारत किसान संगठनों का मानना है। इसको लेकर भाकियू और अन्य किसान संगठन सतर्क हो गए हैं। किसान संगठनों ने सरकार की इस मंशा को लेकर बैठक की और नई रणनीति तैयार की।
भाकियू के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि किसान आंदोलन में यथावत स्थिति बनी रहेगी। जब तक सरकार किसानों की मांगों को नहीं मानती है, तब तक देश का अन्नदाता सड़कों पर बैठकर सरकार के निर्णय का इंतजार करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पिछले कई दिनों से किसानों के खिलाफ साजिश रच रही है। हर मोर्चे ने इन साजिशों को नाकाम किया है, लेकिन ऐसी साजिशों से किसान आंदोलन का समाधान नहीं निकलने वाला है।
धर्मेंद्र मलिक का कहना है कि मुझे ऐसा अंदेशा है कि कभी भी कुछ भी हो सकता है। सरकार बातचीत से समाधान नहीं करना चाहती है। बल्कि साजिश से किसानों को हटाना चाहती है। तमाम तरह की घटनाओं ने साजिशों को खोल दिया है।ऐसे हालात को देखते हुए 6 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं की बैठक होगी। इसमें आगे की रणनीति बनेगी। क्योंकि अभी किसान नेता अलग-अलग मोर्चे पर लोगों से बात कर रहे हैं।
भाकियू जिलाध्यक्ष चौधरी बिजेंद्र सिंह ने बताया कि आंदोलन स्थल पर अब किसानों का तादाद बढ़ने लगी है। दो दिनों में मुरादाबाद, अमरोहा, संभल, गाजियाबाद, मेरठ और हापुड़ के किसान अपने ट्रैक्टर व वाहनों से पहुंचे। वहीं, रविवार को सभी ने आंदोलन के मंच पर भारत के पहले गृहमंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की तस्वीर पर माल्यार्पण कर नमन किया।
Published on:
01 Nov 2021 04:43 pm
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