
Diwali 2018: दिवाली का त्योहार नजदीक आते ही सज गए हैं बाजार, माटी के दिये लोगों को आ रहे पसंद
हापुड़। देश में दीपावली (diwali) और दशहरा (dusshera) पर हर तरफ प्रकाश की अहम भूमिका रहती है और दशहरा पास आते ही देश को चमकाने का कारोबार शुरू हो गया है। इसके साथ ही लोग दिवाली पर दिये जलाकर और रंगोली बनाकर पूजा (pooja/puja) करते हैं। इस साल दिवाली सात नवंबर को मनाई जाएगी (diwali kab hai)। पिछली बार सीएम योगी ने अयोध्या में माटी के दीपक (deepak) जलाकर चार चाँद लगाने का काम किया तो वहीं इस बार माटी के दीपकों (diye) की मांग देखी जा रही है। जिसको लेकर इस बार सबसे ज्यादा माटी के दीपकों का कारोबार देखा जा रहा है। इस बार चाइनीज माल कम और माटी का माल ज्यादा दूर दूर तक जा रहा है।
हापुड़ तहसील के गांव सब्ली में प्राकृतिक माटी के दीपक, कुलिया, दीप बनाने का काम शुरू हो गए है। हापुड़ के गांव सब्ली में करीब दर्जनों परिवार देश को चमकाने का काम कर रहे है। इस बार माटी के बने दीपको , मटको और कुलियाओं की काफी मांग देखी जा रही है। वहीं मिटटी के बर्तनों को खरीदने के लिए गांव में दूर दूर के व्यापारी आते है और माटी के दीपक खरीदकर ले जाते है। सबली गांव में कई पीढ़ियों से माटी के दीपक बनाने का काम किया जा रहा है।
आपको बता दें कि हापुड़ तहसील के गांव सब्ली में कई पीढ़ियों से दर्जनों परिवार माटी के दीपक, मटके, कई तरह के दीप, बनाने का काम कर रहे हैं और जैसे जैसे दीवाली और दशहरा पास आ रहा है वैसे ही माटी के बने दीपकों, कुलियाओं और मटकों की मांग भी बढ़ने लगी है। इस बार चाइनीज चीजों पर व्यापारियों का कम ध्यान है और माटी के दीपकों की मांग बढ़ती ही जा रही है।
दूर-दूर के जनपदों से व्यापारी माटी के बर्तन, दिये खरीदकर ले जा रहे हैं। हापुड़ का सब्ली पहला ऐसा गांव है जिसमें कई पीढ़ियों से कई परिवार लगातार देश में रौशनी करने का काम कर रहे हैं। बच्चों महिलाओं से लेकर बुजुर्ग भी मिटटी के दीपक बना रहे हैं। आप भी देखिये कैसे कई परिवार गांव में मिटटी के दीपक और अन्य सामान बनाने का काम कर रहे है और अपने हाथों की कारीगरी को दिखा रहे हैं। इन परिवारों के हाथ की कारीगरी में इतना जादू है कि जो कोई भी इनके बने दीपक को देखता है वह भारी मात्रा में उन्हें खरीदकर ले जाता है।
Published on:
10 Oct 2018 01:35 pm
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