यह भी पढ़ें- UP में हाई अलर्ट: राम मंदिर निर्माण के चलते बढ़ाई गई सुरक्षा, पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द बता दें इन राखियों को बनाने के पीछे जहां एक तरफ इसका मकसद इको फ्रेंडली राखियां बनाने का है। वहीं दूसरी ओर महिलाओं को भी जीविका देने का है। जिला मिशन प्रबंधन इकाई के साथ रूडसेटी ने मिलकर ये राखियां महिलाओं के स्वयं समूह सहायता ग्रुप द्वारा बनवाई हैं। ये महिलाओं का वह समूह होता है, जिसको प्रशासन की तरफ से काम दिया जाता है, ताकि महिलाएं भी स्वयं अपनी जीविका चला सकें और आत्मनिर्भर बन सकें। इन रखियों को लोग भी खासा पसंद कर रहे हैं।
इन राखियो की खासियत ये भी है कि जिस तरह राखियां टूट कर गिर जाती है। उसी तरह अगर ये राखियां भी टूटकर कही गिरेंगी तो एक नया पौधा भी वह उग सकता है। बेशक ही जिला मिशन प्रबंधन इकाई के साथ रूडसेटी ने मिलकर ये राखियां महिलाओं के स्वयं समूह सहायता ग्रुप द्वारा बनवाई है, लेकिन ये सोच वाकई काबिल-ऐ-तारीफ है। ये राखियां वास्तव में एक अच्छी पहल है।