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अमानवीयता : 29 घंटे तक विद्युृत शवदाह मशीन पर ही पड़ा रहा कोरोना मरीज उद्योगपति का अधजला शव

Highlights - गाजियाबाद में हिंडन स्थित विद्युत शवदाह गृह की घटना - 29 घंटे तक भूखे-प्यासे श्मशान घाट पर ही डटे रहे परिजन - जीडीए और नगर निगम एक-दूसरे पर डालते रहे जिम्मेदारी

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गाजियाबाद. कोरोना वायरस (CoronaVirus) महामारी के बीच गाजियाबाद (Ghaziabad) के श्मशान घाट पर एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, मंगलवार को एक उद्योगपति के शव को हिंंडन (Hindon) स्थित श्मशान घाट पर लाया गया था। शवदाह के दौरान इलेक्ट्रिक मशीन (Electric Cremation Machine) खराब हो गई। इसके बाद शव 29 घंटे तक अधजली हालत में ही पड़ा रहा। हैरानी वाली बात ये है कि मशीन को बुधवार दिनभर ठीक नहीं कराया गया। जब मामला मीडिया की सुर्खियों में आया तो शाम मशीन ठीक करवाकर नगर निगम के अधिकारियों ने अंतिम संस्कार करवाया। वहीं, परिजनों का कहना है कि 58 वर्षीय उद्योगपति की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने संक्रमण की पुष्टि नहीं की है।

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बता दें कि गाजियाबाद (Ghaziabad) के इंदिरापुरम निवासी दिल्ली (Delhi) के एक उद्योगपति की साेमवार को मौत हो गई थी। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद परिजन मंगलवार करीब 11 बजे हिंडन स्थित विद्युत शवदाह गृह ले गए। जहां अंतिम संस्कार के दौरान उद्योगपति का शव आधा ही जला था कि अचानक मशीन में तकनीकी खराबी आ गई और करीब 1 बजे मशीन बंद हो गई। तकनीकी खराबी के बाद नगर पालिका और जीडीए (GDA) एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। इस विवाद के दौरान 29 घंटे तक उद्योगपति का शव ऐसे ही अधजली अवस्था में पड़ा रहा। वहीं, मृतक के परिजन भी 29 घंटे तक भूखे-प्यासे श्मशान घाट पर ही डटे रहे। बुधवार शाम को अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी होने के बाद ही वे घर गए।

इस दौरान मृतक के एक रिश्तेदार ने कहा कि उन्होंने शव का भी सम्मान नहीं किया। नगर निगम और जीडीए की व्यवस्था बेहद खराब थी। हिंदू धर्म में ऐसा रिवाज है कि जब तक दाह संस्कार नहीं होता तो लोग कुछ खा-पी नहीं सकते हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण हमें 29 घंटे तक भूखा-प्यासा रहना पड़ा है। गर्मी के कारण हमारी हालत खराब थी, लेकिन किसी को तरस नहीं आया। वहीं परिवार वालों ने कहा कि उन लोगों को इतना दुख उनके जाने का नहीं हुआ, जितना उनके शव के अपमान से हुआ है।

नगर निगम और जीडीए ने एक-दूसरे पर लगाए आरोप

नगर निगम कमिश्नर दिनेश चंद्र ने जीडीए को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि विद्युत शवदाह गृह पूरी तरह से तैयार किए बिना ही जीडीए ने हमें सौंपा है। फिलहाल वह ठीक काम कर रहा था। यहां पर कोरोना के कई मृतकों का दाह संस्कार हुआ। मंगलवार को अचानक तकनीकी दिक्कत के बाद यह बंद हुआ है। वहीं, जीडीए के अधिकारियों ने नगर निगम पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने शवदाह गृह को जब सौंपा था, तब वह ठीक से काम कर रहा था। नगर निगम ठीक से मेंटीनेंस नहीं कर रहा है। इसके बंद होने के लिए नगर निगम जिम्मेदार है।

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