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अनलॉक-1: 8 जून को प्रसिद्ध दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के साथ खुलेंगे इन प्राचीन मंदिरों के कपाट

Highlights - प्रसिद्ध भगवान दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के महंत नारायण गिरी महाराज ने दी जानकारी - श्रद्धालुओं से की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भगवान के दर्शन कर बारी-बारी जलाभिषेक करने की अपील - कोविड-19 महामारी का देश से जल्द से जल्द सफाया करने के लिए रोजाना होगी विशेष पूजा

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गाजियाबाद. लॉकडाउन के करीब ढाई महिने बाद गाजियाबाद के प्रसिद्ध भगवान दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के कपाट 8 जून को सुबह खुल जाएंगे। मंदिर के महंत नारायण गिरी महाराज ने यह जानकारी देते हुए श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि मंदिर के कपाट खुलने के बाद लोग एक साथ भीड़ न लगाएं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भगवान के दर्शन कर बारी-बारी से जलाभिषेक करें। इसी तरह मुरादाबाद स्थित चामुंडा मंदिर के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर मंदिरों पट भी सरकारी गाइडलाइन के साथ 8 जून को खुल जाएंगे।

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दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के महंत नारायण गिरी महाराज ने बताया कि जबसे सरकार ने कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के उद्देश्य से देशभर में लाॅकडाउन किया था। साथ ही यह भी घोषणा कर दी गई थी कि सभी धार्मिक स्थल भी पूरी तरह बंद रहेंगे। उसी दिन से गाजियाबाद के प्रसिद्ध भगवान दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के कपाट भी बंद हो गए थे। मंदिर के अंदर ही रहने वाले पुजारी और संत ही मंदिर की साफ-सफाई और सुबह-शाम की आरती एवं भोग लगाया करते थे। यानी यहां पर किसी भी श्रद्धालु को आने की इजाजत नहीं थी। हालांकि अब सरकार ने अनलॉक-1 की घोषणा करते हुए धार्मिक स्थलों को भी खोलने की अनुमति दे दी है। सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए अब गाजियाबाद स्थित दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के कपाट भी 8 जून को सुबह ही लोगों के दर्शन के लिए खुल जाएंगे, जिसके बाद सभी भक्त भोलेनाथ के दर्शन कर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर सकेंगे। महंत नारायण गिरी महाराज ने सभी भक्तों से यह अपील की है कि कोविड-19 महामारी को गंभीरता से लेते हुए मंदिर समिति के द्वारा बनाई गई व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपना पूरा सहयोग प्रदान करें।

महंत नारायण गिरी महाराज ने बताया कि मंदिर में आने वाले सभी भक्तों के लिए सैनिटाइजेशन की भी सुविधा मंदिर के गेट पर ही की जा रही है। मंदिर समिति के द्वारा यह भी निर्धारित किया जा रहा है कि जो भी भक्त मंदिर के अंदर आते हैं, वे सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन करें। उसके बाद ही अपनी बारी का इंतजार करते हुए शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। महंत नारायण गिरी जी महाराज ने बताया कि यह प्राचीन प्रसिद्ध मठ मंदिर है। यह मठ मंदिर रावण के पिता विश्वेश्वर नाथ के द्वारा स्थापित किया गया था। रावण ने भी इसी मंदिर में भगवान भोलेनाथ की आराधना की थी। इतना ही नहीं रावण ने अपना पहला शीश यहीं पर भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया था। प्राचीन काल से ही इस मठ मंदिर की खास मान्यता है।

महंत नारायण गिरी महाराज ने बताया कि कोविड-19 महामारी का देश से जल्द से जल्द सफाया हो और सभी देशवासी पहले की तरह स्वस्थ रहें। इसके लिए भी रोजाना मंदिर के महंत और पुजारियों के द्वारा भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना और आरती की जाएगी।

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