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मुंह की लार से कोरोना संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा, दंत चिकित्सकों के लिए एडवायजरी जारी

Highlights - कोरोना के मरीजों की लार में वायरस की मौजूदगी करीब 91 फीसदी तक - मुख्य चिकित्सा अधिकारी नरेंद्र कुमार गुप्ता ने डेंटिस्ट टेलीफोनिक इलाज करने की सलाह - लार पानी की फुहार और थूक के साथ बाहर आकर अन्य लोगों को कर सकती है संक्रमित

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गाजियाबाद. कोरोना के मरीजों की लार में वायरस की मौजूदगी करीब 91 फीसदी तक हो सकती है। यही लार पानी की फुहार और थूक के साथ बाहर निकलकर फर्श पर भी गिर सकती है और संपर्क में आने वाले को संक्रमित कर सकती है। यह कहना है गाजियाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी नरेंद्र कुमार गुप्ता का। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दंत चिकित्सकों को इस तरह के मामले को गंभीरता से लेने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि लोगों के दांतो का इलाज या जांच करते समय विशेष सावधानी बरतें, क्योंकि सबसे ज्यादा संक्रमण फैलने का खतरा मुंह की लार से होता है।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा है कि दांतों के इलाज या उनकी जांच करने से पहले चिकित्सकों को मरीजों का बॉडी टेंपरेचर चेक करना बेहद अनिवार्य है, क्योंकि दंत चिकित्सकों को सबसे ज्यादा खतरा है। उनका कहना है कि मुंह की समस्या पूरे शरीर को प्रभावित करती है और यही कारण है कि 90 से 95 प्रतिशत बीमारी के लक्षणों से ही दिखाई दे जाते हैं। इसलिए कोरोना काल में लोगों को भी अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए, ताकि दांतों की समस्या के समाधान के लिए क्लीनिक तक न जाना पड़े और टेलीफोन पर ही जरूरी सलाह देकर मरीजों की समस्या का समाधान किया जा सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकारी और निजी चिकित्सकों से हेल्पलाइन पर भी मदद ली जा सकती है।

दंत चिकित्सक डॉक्टर पारुल त्यागी और डॉक्टर आरके साहू ने बताया कि निसंदेह दंत चिकित्सकों को इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए मरीजों का उपचार करना चाहिए। क्योंकि मुंह की लार से ही कोविड-19 संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा बना रहता है। डॉ. पारुल त्यागी ने बताया कि टेली मेडिसिन के अलावा टेली डेंटिस्ट्री भी शुरू की गई है। इसके लिए स्मार्टफोन या लैपटॉप के जरिए चिकित्सक से जरूरी सलाह ली जा सकती है। उन्होंने कहा इससे मरीज को भी क्लीनिक तक जाने की आवश्यकता नहीं है और इससे चिकित्सक और खुद मरीज भी संक्रमित नहीं होंगे।

बांके बिहारी डेंटल कॉलेज के डायरेक्टर एवं वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉक्टर आरके साहू ने बताया कि कोविड-19 महामारी को सभी लोगों को गंभीरता से लेना चाहिए। सरकार की गाइडलाइन लोगों को फॉलो करनी चाहिए। सोशल डिस्टेंस बनाए रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर दंत चिकित्सकों को ज्यादा खतरा बना रहता है। सभी दंत चिकित्सकों को इसका विशेष ध्यान रखते हुए मरीजों का उपचार करना चाहिए। उन्होंने बताया कि दंत चिकित्सक मरीजों के चेकअप के दौरान क्लीनिक में एक-दूसरे से 2 गज की दूरी नहीं बना सकते हैं। क्योंकि मसूड़े आदि का इलाज करने के लिए उसकी गहनता तक पहुंचना जरूरी होता है और इस दौरान चिकित्सक मरीज के मुंह के लार से नहीं बच सकता। इसलिए अच्छी क्वालिटी के ग्लब्ज पहनकर और मास्क लगाकर ही दांतों का इलाज किया जाना चाहिए। उसके बाद भी अपने हाथों को पूरी तरह बार-बार सैनिटाइज करना चाहिए। भले ही चिकित्सकों को मरीजों के दांतों का उपचार करने के लिए उनके नजदीक जाना पड़ता है, लेकिन फिर भी पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि जब तक कोविड-19 संक्रमण का स्थाई हल न निकले तब तक सभी दंत चिकित्सकों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

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