
गाजियाबाद की डासना जेल में बंदियों को वीआईपी सुविधा दिए जाने की शिकायत एक चिकित्सक की तरफ से राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से की गई। जिसे गंभीरता से लेते हुए अब एनएचआरसी ने इस पूरे मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। जिसके तहत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम गाजियाबाद जा पहुंची और सबसे पहले जेल प्रशासन के अधिकारियों से इस पूरे मामले में बिंदुवार बयान दर्ज करने शुरू कर दिए और कई एंगल पर टीम पूरी जांच शुरू कर दी गई है। वहीं इसकी जानकारी देते हुए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के डिप्टी एसपी दुष्यंत कुमार ने बताया कि डासना जेल में बंदियों को वीआईपी सुविधा मुहैया कराए जाने के कई आरोप लगाए गए। जिसके बाद अब डासना जेल में कई पहलुओं पर गहन जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि डासना जेल में हर पहलू पर 5 दिन तक जांच चलेगी। ताकि इस तरह के गंभीर आरोपों की गहनता से जांच हो सके।
एनएचआरसी की टीम ने दो घंटे की पूछताछ
डिप्टी एसपी दुष्यंत कुमार ने बताया कि एनएचआरसी की टीम ने सबसे पहले जिला एमएमजी अस्पताल में पहुंचकर शिकायतकर्ता डॉ. नितिन प्रियदर्शी से जांच के संबंध में करीब 2 घंटे तक पूछताछ की गई। उसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पहुंचकर एसीएमओ डॉक्टर सुनील त्यागी से भी गहन पूछताछ की गई। उन्होंने बताया कि डॉक्टर सुनील त्यागी इससे पहले जेल में ही तैनात रह चुके हैं। इसलिए जेल के अंदर की स्थिति के बारे में वह सबसे बेहतर बता सकते हैं। इसलिए उनसे भी गहन पूछताछ की गई है। फिलहाल इस मामले में अभी भी जांच जारी है।
जेल अधीक्षक ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
उधर जेल अधीक्षक आलोक सिंह का कहना है कि जेल प्रशासन पर जो इस तरह के आरोप लगाए गए हैं, वह बिल्कुल बेबुनियाद हैं। क्योंकि डॉ. नितिन जेल का नाम खराब करने के लिए मनगढ़ंत बेबुनियाद आरोप लगाकर शिकायत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एनएचआरसी की टीम गहनता से हर पहलू पर जांच कर रही है और जांच करने वाली टीम का पूरा सहयोग किया जा रहा है। जहां पर भी एनएचआरसी की टीम को जेल प्रशासन के सहयोग की आवश्यकता होगी। उसमें कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। लेकिन जिला कारागार में बंदियों को वीआईपी सुविधा उपलब्ध कराने की जो गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह पूरी तरह बेबुनियाद हैं।
Published on:
22 Jun 2022 09:53 am
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