बता दें कि निठारी के रहने वाले नंदलाल की पुत्री पायल अपने भाई की नौकरी की तलाश कर रही थीं। 7 मई 2006 को नौकरी के लिए मोनिंदर सिंह पंढेर ने बुलाया था, लेकिन उसके बाद से वह वापस नहीं लौटीं तो 8 मई 2006 को नंदलाल ने नोएडा थाना सेक्टर-20 मे गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। 24 अगस्त 2006 को नंदलाल ने कोर्ट के माध्यम से धारा 363/366 आईपीसी के तहत मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली के खिलाफ मामला दर्ज कराया। जब गहन जांच हुई तो पायल का मोबाइल सुरेंद्र कोली के पास से बरामद हुआ और सुरेंद्र कोली व पंधेर की निशानदेही पर कोठी नंबर डी5 के नाले व गैलरी से पायल की चप्पल, कपड़े के अलावा कई नर कंकाल भी बरामद हुए। जिनके डीएनए लेकर वहां के गायब हुए बच्चों के माता-पिता का डीएनए से मिलान किया गया। इस मामले में कुल 16 मुकदमे दर्ज किए गए थे। यह सभी मामले दिनांक 11 जनवरी 2007 को सीबीआई को ट्रांसफर हो गए। इन 16 मामलों में पंढेर के खिलाफ केवल 6 मामले चले, जिसमें सिर्फ पंधेर को तीन मामलों में फांसी की सजा हुई। लेकिन, पायल के मामले में नंदलाल पहले दिए बयानों से मुकर गया तो पंधेर फांसी की सजा से बच गया।
यह भी पढ़ें-
विशेष न्यायालय पॉक्सो ने वादी के खिलाफ दोष सिद्ध करते हुए सुनाई सजा, जानें पूरा मामला पंधेर को बचाने के लिए दिया झूठा बयान मामले की पैरवी करने वाले अधिवक्ता खालिद खान ने बताया कि 22 मार्च 2007 को सीबीआई ने पायल के मामले में सुरेंद्र कोली के खिलाफ हत्या आदि में, लेकिन पंधेर के खिलाफ केवल अनैतिक व्यापार कानून में चार्जशीट पेश की। पूर्व सीबीआई जज रमा जैन के सामने दिनांक 6 जुलाई 2007 को नंदलाल ने कोर्ट में अपना बयान दिया कि मोनिंदर सिंह पंढेर ने मेरे सामने सभी हत्याओं को किए जाने का जुर्म कबूल कर लिया था और मेरे सामने ही पंढेर और सुरेंद्र कोली ने हत्या में इस्तेमाल आरी भी बरामद कराई थी। इन बयानों पर नंदलाल ने ही पंधेर को हत्या का आरोपी भी बनवाया, लेकिन इसके बाद नंदलाल पंधेर को फांसी से बचाने के लिए 15 नवंबर 2007 को अपने बयानों से मुकर गया और झूठे नए बयान दिए कि पंधेर ने ना तो मेरे सामने आरी बरामद कराई और ना ही हत्या किए जाने का जुर्म कबूल किया था।
यह भी पढ़ें-
नोएडा के होटल में अमेरिकी महिला की ‘सेप्टिक शॉक’ से मौत, जानें क्या है ये नई बीमारी एसीजेएम कोर्ट ने सुनाई सजा अधिवक्ता खालिद खान ने बताया कि न्यायालय एसीजेएम कोर्ट संख्या 3 गाजियाबाद ने धारा 193 /199 आईपीसी के तहत नंदलाल को दोषी करार देते हुए उसका अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज करते हुए नंदलाल को जेल भेज दिया था और मंगलवार को कोर्ट ने नंदलाल को दोषी मानते हुए 193 धारा के अंतर्गत साढ़े तीन साल की सजा और 20 हजार का जुर्माना लगाया है।