
गाजियाबाद। अस्पतालों की लापरवाही से गर्भवती महिला और बच्चे की मौत का मामला अभी शांत नहीं हआ था कि खोड़ा की एक और महीला की मौत इसी कारण हो गई। परिवार का आरोप है कि सीने में दर्द होने पर महिला को लेकर वह नोएडा, दिल्ली और गाज़ियाबाद के अस्पतालों में घूमते रहे, लेकिन सभी ने बीमार महिला को भर्ती करने से इंकार कर दिया। जिसके चलते समय पर इलाज न मिलने से महिला ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया।
जानकारी के अनुसार प्रताप सिंह नाम का एक शख्स अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ गाजियाबाद की खोड़ा कॉलोनी के प्रताप विहार इलाके में रहता है। महिला ममता (48) को अचानक ही सांस लेने में परेशानी हुई और सीने में दर्द शुरू हुआ। जिसके चलते प्रताप द्वारा एंबुलेंस को फोन किया गया। प्रताप सिंह का आरोप है कि 112 नंबर पर भी उनके द्वारा कॉल की गई लेकिन उन्हें कोई रिस्पांस नहीं मिला। इसकी जानकारी चेयरमैन प्रतिनिधि योगेश भाटी को मिली। उन्होंने किसी तरह एंबुलेंस की व्यवस्था कराई। जिसके बाद ममता के परिजन उसे लेकर नोएडा के कई अस्पतालों में पहुंचे। लेकिन उसे देखने से इंकार कर दिया गया।
प्रताप का कहना है कि इसके बाद यह लोग ममता को लेकर दिल्ली पहुंचे वहां भी कई अस्पतालों में ममता को लेकर यह लोग भटकते रहे। लेकिन किसी ने भी ममता को भर्ती नहीं किया ।उसके बाद यह लोग गाजियाबाद पहुंचे जहां पर वह जिला अस्पताल पहुंचे। आरोप है कि वहां भी ममता को भर्ती करने से इंकार कर दिया गया और उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया। जब ममता को मेरठ लेकर जा रहे थे तब ममता की हालत बिगड़ने लगी और बीच रास्ते में एंबुलेंस में ही ममता ने दम तोड़ दिया।
इन अस्पतालों के चक्कर काटते रहे परिजन
महिला के पुत्र अर्जुन ने बताया कि वह अपनी मां को दिल्ली के जीटीबी अस्पताल ले गए, जहां कोरोना रिपोर्ट नहीं होने और मामला हार्ट से जुड़ा बताकर भर्ती करने से इनकार कर दिया गया। फिर वे लाल बहादुर शास्त्री, एम्स, सफदरजंग व आरएमएल हॉस्पिटल गए। वहां भी भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद वह नोएडा के मेट्रो और कैलाश अस्पताल पहुंचे। आरोप है कि यहां भी भर्ती करने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद रविवार शाम को ही वह अपनी मां को लेकर गाजियाबाद जिला एमएमजी अस्पताल गए। जहां डॉक्टरों ने चेकअप के बाद उन्हें हायर सेंटर मेरठ रेफर कर दिया। आरोप है कि मेरठ ले जाने के लिए भी उन्हें सरकारी एेम्बुलेंस के लिए इंतजार करना पड़ा। लेकिन मेरठ पहुंचने से पहले ही उनकी मां ने एेम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया।
ये बोले सीएमएस
उधर, गाजियाबाद जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ अनुराग भार्गव का कहना है कि जब महिला को अस्पताल लाया गया तो उसका ऑक्सिजन लेवल बहुत कम था। उसके फेफड़ों में पानी भरा हुआ था। हालत को देखते हुए उसे मेरठ हायर सेंटर रेफर किया गया। एंबुलेंस देरी से पहुंचने की बात गलत है।
5 मई को गर्भवती महिला व बच्चे की हुई थी मौत
गौरतलब है कि खोड़ा की रहने वाली नीलम कुमारी गौतम आठ महीने की गर्भवती थीं.। नीलम को सांस की परेशानी होने पर उसका पति घर से अस्पताल जाने के लिए सुबह 6 बजे निकला। 13 घंटे तक किसी अस्पताल ने उसे भर्ती नहीं किया।परिजनो का आरोप है कि कई घंटों तक गर्भवती महिला को एंबुलेंस एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर दौड़ती रही, लेकिन नोएडा के सरकारी और प्राइवेट सात अस्पतालों ने एडमिट करने से इंकार कर दिया। इलाज के अभाव में एंबुलेंस में ही महिला और पेट में पल रहे बच्चे ने दम तोड़ दिया। डीएम ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
Updated on:
09 Jun 2020 03:46 pm
Published on:
09 Jun 2020 03:44 pm
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