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पत्रिका विशेष: स्कूल-कॉलेज बंद होने के बाद स्कूलों ने इस तरह शुरू की पढ़ाई

लॉकडाउन के चलते स्कूल-कॉलेज किए जा चुके हैं बंद छात्रों को घर पर ही पढ़ाने के लिए स्कूलों ने शुरू की ऑनलाइन पढ़ाई कार्यक्रम

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गाजियाबाद. कोरोना महामारी के चलते हुए संपूर्ण लॉकडाउन के बीच बच्चों की पढ़ाई और स्कूलों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। हालात ये है कि कई स्कूलों ने बिना परीक्षा के ही बच्चों को अगली कक्षा में प्रवेश देने की घोषणा की है। वहीं, अब बच्चों की पढ़ाई के नुकसान की भरपाई के लिए कई स्कूल तकनीक का सहारा ले रहे हैं। इसके लिए स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी है।

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ऑनलाइन क्लास देती ये अध्यापिका इंदिरापुरम स्थित एक निजी स्कूल की हैं। इन्होंने प्रबंधन के निर्देश पर बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना शुरू कर दिया । यह महिला टीचर बच्चों की क्लास लैपटॉप पर बैठकर ले रही है। इनके लैपटॉप पर कई विंडो खुली हैं, जिसमें बहुत सारे स्टूडेंट्स ऑनलाइन है और अपनी-अपनी समस्याएं पूछ रहे हैं और ये यहां छात्रों की समस्याओं का समाधान कर रही हैं। छात्र अपने सवाल भेजते हैं और टीचर उनका सोल्यूशन देती हैं। इसके साथ ही बच्चों को ऑनलाइन समझाया भी जाता है।

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ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ उठा रहे छात्र काफी खुश नजर आए। गौरतलब है कि संपूर्ण भारत में 14 अप्रैल तक लोडडाउन है और उसके बाद इसे घटाया जाएगा या नहीं खत्म होगा अभी कोई अनुमान नहीं है। यदि कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती है तो लोडडाउन बढ़ाए जाने की आशंका भी जताई जा रही है। ऐसे में स्कूल खोलना भी नामुमकिन लग रहा है। ऐसे में कार्स के मुताबिक काफी लेट हो जाएगा और बच्चे एक साल के लिए पिछड़ जाएंगे । बच्चों को कोई दिक्कत न हो और शिक्षा व्यवस्था पर इसके प्रभाव कम से कम पड़े। इसी के मद्देनजर स्कूल अब ऑनलाइन क्लासेज शुरू कर दी है। यहां केवल पढ़ाई ही नहीं, अन्य एक्टिविटी भी टीचर्स बच्चों को ऑनलाइन करा रहे हैं । लॉकडाउन के समय में घर में रह रहे सभी छात्र और टीचर इस तरह अपनी बोरियत भी दूर कर रहे हैं और पढ़ाई भी नियमित चल रही है। हैटीचर्स भी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा कर काफी खुश हैं। लॉकडाउन के इस समय के सदुपयोग के साथ-साथ तकनीकी के बढ़ते हुए आयामों से बच्चों का किस तरह विकास हो सकता है, ऑनलाइ टीचिंग उसकी एक मिसाल है। हालांकि, इस तरह के आपातकाल के दौर में शिक्षा व्यवस्था और पढ़ाई का यह कार्य अगर ऑनलाइन होता है और सरकार इस को बढ़ावा देती है तो अधिकतर छात्रों और स्कूलों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।


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