
यूपी के इस लड़के ने बनाई ऐसी तकनीक की अब आतंकवादियों की खैर नहीं
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के रहने वाले 30 वर्षीय युवक ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे आतंकवादी घटनाओं को होने से पहले ही रोका जा सकेगा। इस तकनीक से दीवारों के पार मौजूद चीजों को भी देखा जा सकेगा। इस तकनीक को विकसित करने वाले युवक का नाम है उत्कृष्ट गुप्ता।
जिन्होंने मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) अमेरिका से बीते महीने ही कम्प्युटेशनल फोटोग्राफी एल्गोरिदम में पीएचडी पूरी की है। उत्कृष्ट ने एक 3डी प्रोजेक्टिव डिस्प्ले के लिए एल्गोरिदम डिजाइन किया है। जो कि लेजर तकनीक के जरिए काम करेगा और ईंट या कंक्रीट की दीवार के पार की वस्तुओं का पता लगा सकेगा।
गाजियाबाद के लोहिया नगर के रहने वाले उत्कृष्ट गुप्ता IIT दिल्ली से ग्रेजुएट हैं और साल 2009 में उन्होंने 9.6 स्कोर के साथ आईआईटी में भी टॉप किया था। उन्हें प्रेसिडेंशियल गोल्ड मेडल से भी नवाज़ा जा चुका है। उनके पिता ए.के गुप्ता डॉक्टर हैं।
MIT जनरल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार उत्कृष्ट द्वारा विकसित की गई तकनीक से जल्द ही ईंट और कंक्रीट की दीवार के पीछे छिपी हुई चीजों को देखना संभव हो सकेगा। इसके लिए उत्कृष्ट और उनकी टीम ने जो तकनीक बनाई है उससे दीवार के पीछे मौजूद किसी भी वस्तु की 3-डी इमेज हासिल की जा सकेगी। इतना ही नहीं, इसके जरिए दीवार के पीछे चलते-फिरते इंसान या किसी भी निर्जीव वस्तु की लंबाई, चौड़ाई और का भी ऊंचाई पता चल सकेगा। जानकारी के लिए बता दें कि उत्कृष्ट गुप्ता इस तकनीक पर साल 2012 से ही काम कर रहे थे। उनकी टीम में आंद्रे वेल्तन, थॉमस विलवॉचर, अशोक वीरराघवन मोउंगी जी बावेंडी और रमेश रासकर शमिल थे।
उत्कृष्ट का कहना है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से आतंकवादी घटनाओं से जुड़ी कार्रवाइयों में जान-माल के नुकसान में कमी लाई जा सकती है। इसके अलावा इस तकनीक से भूकंप या आग लगने पर और अन्य बचाव अभियानों में इस्तेमाल कर ये पता किया जा सकता है कि लोग कहां फंसे हुए हैं। MIT की इस रिपोर्ट के अनुसार ये तकनीक आम लोगों को आने वाले 10 सालों में उपलब्ध हो जाएगी।
Google, Linkdin में भी उत्कृष्ट की भूमिका
गौरतलब है कि उत्कृष्ट गुप्ता ने Google की वॉइस कमांड तकनीक को विकसित करने में भी अहम भूमिका निभाई है। यहां वो GoogleNowTeam का हिस्सा रहे और उन्होंने मई 2013 से अगस्त 2014 तक गूगल में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम किया है। इस दौरान उन्होंने गूगल की वॉइस कमांड तकनीक में काफी सुधार किए। वहीं गूगल में काम करने से पहले उत्कृष्ट जून 2012 से मई 2013 तक लिंक्डइन में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे। यहां उन्होंने लोगों के लिए बेहतर जॉब सर्च करने के लिए 'Smart ToDo' तकनीक विकसित की।
Published on:
14 Aug 2018 04:07 pm
बड़ी खबरें
View Allगाज़ियाबाद
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
