इस मामले में जब वकील खालिद खान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अगर कोई अपराधिक वारदात नशे में अंजाम दी जाती है, तो अदालत में उसका फायदा आरोपी को मिलता है। ऐसे में पुलिस की ओर से बिना जांच के ही आरोपी के नशे में होने की बात कहने की कोई जरूरत नहीं है।
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वहीं, गाजियाबाद के एसपी सिटी मनीष मिश्रा भी बिना जांच के ही कह रहे हैं कि वारदात को नशे में अंजाम दिया गया था। तीन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इसके साथ ही आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की तीन टीमें गठित कर उन्हें गिरफ्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं।