
मधुमक्खी पालन का दिया गया प्रशिक्षण
Beekeeping: शहद की बाजार में डिमांड अधिक होने के कारण सरकार अब मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से इसका प्रशिक्षण आयोजित करती है। आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पांच दिवसीय प्रशिक्षण देकर मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया है। शहद की बाजार में अधिक डिमांड होने के साथ-साथ इसकी ऑनलाइन मार्केट भी विकसित हो रही है।
Beekeeping : यूपी के गोंडा जिले में आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर में मधुमक्खी पालन के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
डॉ. एस के वर्मा वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर ने प्रशिक्षणार्थियों से मधुमक्खी पालन का स्वरोजगार अपनाने का आवाहन किया। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी द्वारा फसलों में परागण क्रिया करने से फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है। पराग इकट्ठा कर मधुमक्खियां मधु बनती है। शहद की बाजार मांग काफी अधिक है। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. अजीत सिंह वत्स ने मधुमक्खी पालन के लिए आवश्यक सामग्री तथा मधुमक्खी पालन की तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरसों, आम और लीची में फूल आने के समय मधुमक्खियां शहद का उत्पादन अधिक होता है। यह समय मधुमक्खी पालन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । शहद की बिक्री के लिए नजदीकी बाजार अथवा ऑनलाइन मार्केटिंग विकसित की जा सकती है। डॉ.
Beekeeping : रामलखन सिंह ने मधुमक्खी पालन के लिए सरसों तोरिया आदि रबी फसलों को उपयुक्त बताया। उन्होंने बताया कि तोरिया सरसों की फसल में नवंबर से फरवरी तक पर्याप्त फूल रहता है। सरसों की फसल काफी क्षेत्रफल में उगाई जाती है। डॉ. डीके श्रीवास्तव वरिष्ठ वैज्ञानिक पशुपालन ने बताया कि शहद उत्पादन के लिए मधुमक्खियां नीम जामुन आदि पौधों से भी पराग एकत्रित करती है। डॉ. मनोज कुमार सिंह उद्यान वैज्ञानिक ने बताया कि जनपद में आम अमरूद नींबू के फलदार वृक्ष काफी संख्या मे हैं। डॉ. हनुमान प्रसाद पांडेय ने बताया कि मधुमक्खी पालन में कुछ समय जब फसलों में फूल नहीं होते हैं। उस समय चीनी का घोल आहार के विकल्प के रूप में दिया जाता है। डॉ. ज्ञानदीप गुप्ता मत्स्य वैज्ञानिक ने मत्स्य पालन के बंधें पर फलदार वृक्ष लगाकर मत्स्य पालन के साथ मछली पालन का कार्य किया जा सकता है। डॉ. दिनेश कुमार पांडेय ने शहद के औषधि गुणों की जानकारी दी। पांच दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण में विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूहों की अनीता देवी, सुनीता देवी, फूलमती, कंचन देवी, रीता आदि ने प्रतिभाग कर तकनीकी जानकारी प्राप्त की।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस के वर्मा ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से समय-समय पर मधुमक्खी पालन सहित विभिन्न तरह के प्रशिक्षण आयोजित किए जाते हैं। इच्छुक व्यक्ति कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर कृषि संबंधी कोई भी जानकारी हासिल कर सकता है।
Published on:
09 Sept 2024 09:20 am
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