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पीपल के पेड़ के नीचे क्यों पढ़ रहे इस सरकारी स्कूल के बच्चे, आखिर क्या है जादू?

- अब पीपल के पेड़ के नीचे पढ़ रहे बच्चे- बरसात तो जैसे तैसे निकाली, कड़कड़ाते जाड़े में क्या होगा- यूपी के गोंडा के हलधरमऊ ब्लाक के कपूरपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय का मामला

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पीपल के पेड़ के नीचे क्यों पढ़ रहे इस सरकारी स्कूल के बच्चे, आखिर क्या है जादू?

पीपल के पेड़ के नीचे क्यों पढ़ रहे इस सरकारी स्कूल के बच्चे, आखिर क्या है जादू?

गोंडा. यूपी सरकार की कायाकल्प योजना सरकारी स्कूल की काया ही बदल दे रही है। पर इसी योजना के तहत विभाग ने एक स्कूल ध्वस्त कर दिया। सरकारी अड़ेंगेबाजी की वजह से अभी स्कूल निर्माण के लिए धनराशि नहीं आई है। तो स्कूल का भवन नहीं बना। तक पीपल के पेड़ के नीचे सरकारी स्कूल के बच्चे पढ़ाई कर रहे है। बरसात तो जैसे तैसे निकाल गई है, सवाल है कि क्या कड़कड़ाते जाड़े में भी पीपल के पेड़ के नीचे ही स्कूल चलेगा। यह कहानी है यूपी के गोंडा के हलधरमऊ ब्लाक के कपूरपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय की।

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स्कूल जल्दी से जल्दी बन जाए :- छात्र-छात्राएं

गोंडा के हलधरमऊ ब्लाक के कपूरपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चे स्कूल भवन के अभाव में पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर है। बच्चे इस बरसात में उसी पीपल पेड़ के नीचे पढ़ाई कर रहे हैं। जहां अक्सर सांप-बिच्छू निकलते रहते हैं। पर स्कूल टीचर करीब 170 बच्चों को पूरी लगन से पढ़ाते हैं। बच्चों ने बताया वह भगवान से प्रार्थना करते है कि उनका स्कूल जल्दी से जल्दी बन जाए।

उच्चाधिकारियों को लिखा :- प्रधानाध्यापक

कपूरपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक ने बताया कि स्कूल जर्जर हो गया था, साल भर पहले विभाग ने ध्वस्त करवा दिया। अभी तक नहीं बना है। इसलिए बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाना पड़ रहा है, इसके लिए स्कूल भवन के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा गया है।

धनराशि आते ही निर्माण शुरू :- बीएसए

बीएसए ने बताया कि, कायाकल्प योजना के तहत सर्वे में जिले के 586 जर्जर स्कूल मिले थे, जिसमें 22 को ध्वस्त कराया गया, स्कूल भवन निर्माण के लिए राज्य परियोजना कार्यालय को प्रस्ताव भेजा गया था। धनराशि आते ही निर्माण शुरू करा दिया जाएगा।

विद्यालय की इमारत नहीं बनी :- स्कूल भवन ध्वस्त होने के बाद अबतक विद्यालय की इमारत नहीं बनी। तक मजबूरन शिक्षकों ने बच्चों को पीपल के पेड़ के नीचे पढ़ाना शुरू कर दिया। पढ़ाई से लड़कियों व महिला अध्यापिकाओं के सामने दिक्कतें आ गई हैं। पर उम्मीद बाकी है। प्रधानाध्यापक ने स्कूल भवन शीघ्र बनवाने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है।