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Gonda News: तुलसीदास की जन्मस्थली को लेकर बढ़ा विवाद, गोंडा सिविल जज की कोर्ट में पहुंचा मामला

Gonda News: रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास के जन्म स्थान को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है। गोंडा, एटा और बांदा तीनों स्थान को लेकर के धर्मावलंबी के अपने-अपने तर्क हैं। लेकिन गोंडा में तमाम प्रमाण के साथ तुलसी जन्मभूमि न्यास द्वारा सिविल जज जूनियर डिवीजन के यहां जन्म स्थान को लेकर डिक्लेरेशन सूट फाइल फाइल किया गया है। इसके पीछे वाद में तमाम तर्क दिए गए हैं।

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तुलसी जन्म स्थली की फाइल फोटो

Gonda News: गोस्वामी तुलसीदास के जन्म स्थान को लेकर तीन जिलों के बीच गोंडा, एटा और बांदा के बीच विवाद चल रहा है। तुलसी जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष डॉक्टर स्वामी भागवताचार्य के विद्वान अधिवक्ता ने तमाम धार्मिक ग्रंथो और तथ्यों के आधार पर सिविल जज जूनियर डिवीजन के यहां एक डिक्लेरेशन सूट फाइल किया है।

Gonda News: गोंडा सिविल जज जूनियर डिवीजन के यहां दायर किए गए वाद में कहा गया है कि गोस्वामी तुलसीदास के जन्म स्थान के बारे में विभिन्न विचारधारा पाए जाते हैं। जिसमें इतिहास धर्म ग्रंथ भौगोलिक स्थिति भाषा शैली पारंपरिक रीति रिवाज रहन-सहन और वंशावली तथा रिश्तेदारी के संदर्भ को लेते हुए गोस्वामी तुलसीदास के जन्म स्थान को समय-समय पर अलग-अलग स्थान पर दर्शित करने की कोशिश की गई है। गोस्वामी तुलसीदास के जन्म स्थान को लेकर मुख्य रूप से तीन स्थानों में विवाद है जिसमें प्रथम स्थान गोंडा जिले के ग्राम राजापुर, दूसरा राजापुर जनपद बांदा तथा वर्तमान में चित्रकूट व तीसरा स्थान सोरो एटा के संदर्भ में विवाद है।

गोंडा के पक्ष में क्या है तर्क

सिविल जज के यहां दायर मुकदमे में कहा गया है कि तुलसीदास का जन्म स्थान भौगोलिक सामाजिक और ऐतिहासिक दृष्टि से गोंडा जिले के राजापुर गांव में हुआ था। वर्तमान में यह स्थान कर्नलगंज तहसील में पड़ता है। गोस्वामी तुलसीदास के पिता आत्माराम दुबे के नाम से ग्राम राजापुर में आज भी भूमि राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। अधिवक्ता ने कहा कि ऐसे प्रमाण किसी भी जगह पर मौजूद नहीं है। इसके अलावा गोस्वामी तुलसीदास जी की माता का नाम हुलसी देवी पुत्री धनीर मिश्र था। जो बहराइच जिले के पखरपुर विकासखंड के गांव दहोडाताल दधिबल कुंड भिलौरा बासू की रही है। इसके अलावा तमाम धार्मिक ग्रंथो में यहां के स्थान को लेकर उनके द्वारा लिखी गई दोहा चौपाई का भी जिक्र किया गया है। यह स्थान अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा में भी आता है। उन्होंने कहा कि लापरवाही पूर्वक विभिन्न पाठ पुस्तकों में गोस्वामी तुलसीदास के जन्म स्थान का बांदा के राजपुर तथा सोरो एटा में दर्ज चला आ रहा है। जबकि गोंडा के सरकारी राजस्व अभिलेखों में उनके पिता के नाम जमीन के जबकि अन्य जनपदों में साक्ष्य के विपरीत के विपरीत साजिश पूर्ण लेख हैं। जिसे समाप्त किया जाना आवश्यक है। ताकि भिन्नता समाप्त हो सके। यह भी तर्क दिया गया है कि तुलसीदास जी ने अपनी दोहावली में मसूद गाजी की कब्र का जिक्र करते हुए लिखा है कि लही आँखि कब आँधरे, बाँझ पूत कब ल्याइ। कब कोढ़ी काया लही, जग बहराइच जाइ।

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धारा 80 सीपीसी के तहत 9 लोगों को बनाया गया पक्षकार

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर जिलाधिकारी गोंडा, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी डिपार्टमेंट ऑफ़ हायर एजुकेशन, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ऑफ़ बेसिक एजुकेशन सहित 9 लोगों को पक्षकार बनाया गया है।