
अपने बाग में अमरूद के फल को दिखाते किसान
Gonda News: पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है। सपने उन्हीं के पूरे होते हैं। जिनके सपनों में जान होती है। यह कहावत गोंडा के एक युवक ने चरितार्थ कर दिया है। शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के बाद जब इन्हें नौकरी नहीं मिली। तब इन्होंने परंपरागत खेती छोड़कर बागवानी को अपना कमाई का जरिया बनाया। शुरुआती दौर में महज ढाई बीघा ताइवान अमरुद लगाकर करीब डेढ़ साल के भीतर ही पूरी लागत निकाल ली। अब महज ढाई बीघे में डेढ़ से 2 लाख लाख रुपए प्रतिवर्ष शुद्ध मुनाफा होने के रास्ते खुल गए हैं।
Gonda News: गोंडा जिले के मनकापुर विकासखंड के गांव छिटईपुर के रहने वाले राजेश कुमार वर्मा स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद बीएससी बीएड और फिर टेट की परीक्षा पास किया। नौकरी न मिलने की दशा में इन्होंने बागवानी को एक मिशन के रूप में चुना। शुरुआती दौर में इन्होंने ढाई बाई में ताइवान अमरुद लगाया। पौध मांगने से लेकर रोपाई और पहली बार फल तोड़ाई तक कुल 56550 रुपए खर्च आए। पौधारोपण के जब 16 माह बाद फल की पहली बार तुड़ाई हुई तो 22 कुंतल उत्पादन हुआ। जिसकी थोक बाजार में 60 हजार रुपये की बिक्री हुई। इस तरह 16 महीने के भीतर पूरी लागत निकल गई। 3500 मुनाफा भी हुआ। फल की पहली तोड़ाई जुलाई माह में हुई थी। 3 महीने बाद नवंबर माह में दूसरी बार फल की तुड़ाई शुरू हो गई है। अब तक करीब 22 हजार का अमरूद बिक चुका है। एक अनुमान के मुताबिक बाग में अभी करीब 30 कुंतल फल लगा होगा। जिसकी कीमत आज के भाव के हिसाब से करीब 1 लाख 35 हजार रुपए होगी। इस तरह 19 महीने के भीतर ढाई बीघा अमरूद में करीब 162000 का शुद्ध मुनाफा होने का अनुमान है।
राजेश वर्मा बताते हैं कि हमारे गांव के बगल कृषि विज्ञान केंद्र स्थित है। वहां के वरिष्ठ वैज्ञानिक राम लखन सिंह यादव और डॉ मनोज सिंह से अक्सर परंपरागत खेती को लेकर बातचीत चलती रहती थी। जिसमें यह कहा जाता था कि अब इस खेती में लाभ कम और खर्च अधिक आता है। वैज्ञानिकों ने इन्हें ताइवान पिंक अमरूद के खेती करने की सलाह दी। वहीं से प्रेरणा मिलने के बाद इन्होंने 21 फरवरी 2023 को ढाई बीघा खेत में अमरूद की फसल को लगाया। ढाई बीघा खेत में 600 पौधे 5×5 फीट पर रोपे गए। यानी एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी के बीच 5 फीट का अंतर रहा।
इनके अमरूद की खेती को देखने के लिए दूर-दूर से किसान आते हैं। कुछ किसान इनसे प्रेरणा लेकर अमरूद के खेती की तरफ उन्मुख हुए हैं। ताइवान अमरूद के पौधे अब यह खुद तैयार करते हैं। राजेश कुमार का कहना है कि अभी छोटे पैमाने पर मेरे यहां पौध तैयार होते हैं।
राजेश बताते हैं कि यदि ठीक-ठाक से देख देखभाल करके अमरूद की खेती की जाए तो एक साल में तीन बार फसल ली जा सकती है। इसका मतलब प्रत्येक 4 महीने पर फल तैयार हो जाते हैं। गोंडा, बहराइच, अयोध्या, श्रावस्ती सहित कई जिलों के किसान इनके बाग का भ्रमण कर ताइवान पिंक अमरूद की खेती करने की तरफ अग्रसर हुए हैं।
जिला उद्यान अधिकारी रश्मि शर्मा ने बताया कि बागवानी करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। हमने राजेश वर्मा के बाग का निरीक्षण किया है। उनसे प्रेरणा लेकर के कई किसान अब अमरूद की खेती की तरफ अग्रसर हुए हैं। उद्यान विभाग के माध्यम से किसानों को फल, फूल मिर्च मसाले की खेती पर अनुदान दिया जाता है। किसानों परंपरागत खेती के अलावा फल, फूल मिर्च मसाले की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।
Updated on:
10 Nov 2024 09:34 pm
Published on:
06 Nov 2024 04:07 pm
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