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ऐतिहासिक पांडव कालीन मंदिर दुखहरण नाथ पर जलाभिषेक को लेकर प्रशासन द्वारा किया गया रूट डायवर्जन

गोंडा ऐतिहासिक पांडव कालीन दुखहरण नाथ मंदिर पर सावन के दूसरे सोमवार को शिव भक्तों की बढ़ती अपार भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा रूट डायवर्जन किया गया है।

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मुख्यालय के स्टेशन रोड स्थित बाबा दुखहरण नाथ मंदिर अति प्राचीनतम है। बताया जाता है कि पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान यहां पर एक शिवलिंग की स्थापना की गई थी। बाद में इस मंदिर का निर्माण गोंडा नरेश ने करवाया। यह मंदिर पूरी तरह पत्थरों से बना भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि यहां पर जलाभिषेक व पूजा अर्चना करने से श्रद्धालुओं के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां पर पूरे वर्ष प्रत्येक शुक्रवार व सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। सावन मास में सोमवार व शुक्रवार को शिव भक्तों की अपार भीड़ जलाभिषेक करती है। जिसके लिए प्रशासन को रूट डायवर्जन के साथ-साथ सुरक्षा के व्यापक इंतजाम करने पड़ते हैं। कजली तीज के अवसर पर कर्नलगंज स्थित पवित्र सरयू नदी से नंगे पैर लाखों की संख्या में शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं। इस दौरान प्रशासन द्वारा करीब 4 किलोमीटर तक जलाभिषेक के लिए वेरीकेटिंग की जाती है। तथा बड़े पैमाने पर सुरक्षा के बंदोबस्त किए जाते हैं।स्टेशन रोड पर स्थित मंदिर से श्रद्धालुओं की विशेष आस्था जुड़ी हुई है। मुख्य मार्ग पर होने के कारण मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्याप्त आवागमन के साधन हैं। रेलवे व बस स्टेशन से टेंपो, रिक्शा या निजी साधन से पहुंचा जा सकता है। मंदिर के महंत रुद्रनारायण गिरि का कहना है कि इस मंदिर का अतीत भगवान शिव के अयोध्या आगमन से जुड़ा हुआ है। यहां भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग स्थापित है। श्रावण मास के दूसरे सोमवार को लेकर प्रशासन द्वारा मुख्यालय के बड़गांव चौराहे से इनकैन की तरफ जाने वाले समस्त वाहनों मिश्रौलिया होते हुए अंबेडकर चौराहे पर लखनऊ रोड पर निकलेंगे। तथा इसी प्रकार इनकैन चौराहे से बड़गांव की तरफ जाने वाले समस्त वाहन मिश्रौलिया तथा मनिकापुर तिराहे से इनकैन जाने वाले सभी वाहन सद्भावना तिराहा अथवा बड़गांव पुलिस चौकी होते हुए मिश्रौलिया के रास्ते से जाएंगे।