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Gonda News : धान की खेती करनी तो शुरू से ही रखें इन बातों का ख्‍याल, होगी बंपर पैदावार, जाने कृषि वैज्ञानिकों की राय

Gonda News : खरीफ की प्रमुख फसल धान की खेती का काम जून माह में शुरू हो जाता है। जून के पहले सप्ताह में किसान धान की रोपाई करने के लिए नर्सरी डालने का काम शुरू कर देते हैं। धान की खेती पूरे देश में होती है। जिन किसानों ने जून के पहले सप्ताह में धान की नर्सरी डाल दिया था। उनकी नर्सरी रोपाई के लिए तैयार हैं। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि धान की नर्सरी डालने के 21 दिन के अंदर रोपाई शुरू कर देनी चाहिए। रोपाई के लिए खेत कैसे तैयार करें खरपतवार नियंत्रण सहित अन्य जानकारियां के लिए पढ़ें पूरी खबर

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खरीफ की प्रमुख फसल धान की खेती करने के लिए किसानों को नर्सरी डालते समय ही सबसे पहले बीज को शोधित करना चाहिए। बीज का शोधन करने से फसल को तमाम तरह के रोगों से बचाया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं नर्सरी डालने के बाद किसानों को 21 दिन के भीतर धान की रोपाई कर देनी चाहिए।

देशभर में धान की खेती की जाती है। जिन खेतों में धान की रोपाई करना है। सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर ले। इसके साथ यह भी जरूरी है कि खेत पूरी तरह से समतल होना चाहिए। जिससे फसल की सिंचाई करते समय खेतों में सभी स्थानों पर बराबर पानी की मात्रा पहुंच सके। ऐसा करने से किसानों को अच्छा उत्पादन मिलता है। खेत समतल ना होने की दशा में कहीं पानी की मात्रा अधिक हो जाती है। जिससे फसल की पैदावार पर व्यापक असर पड़ता है। जहां पानी की मात्रा कम होती है। वहां फसलें जल्दी सूखने लगती है। कृषि वैज्ञानिक संत शरण त्रिपाठी बताते हैं कि रोपाई करते समय किसानों को दूरी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। एक पौध से दूसरे की दूरी 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए। जब फसलों की सघन रोपाई हो जाती है। अधिक सघन रोपाई हो जाने के कारण पौधों में कल्ले कम आते हैं। जिससे उत्पादन पर व्यापक असर पड़ता है। पैदावार कम होती है। किसानों को रोपाई करने से पहले खेतों की चारों तरफ से मेड़बंदी के कई सारे फायदे हैं। जैसे खेत में पानी देने में आसानी होती है। और जब बरसात होती है। तब खेत में पानी भर जाता है। जिससे खेत में नमी भी बढ़ती है। और जमीन के नीचे के पानी का स्तर भी बढ़ता है।

बीज शोधन करने पर मिलेगी कई रोगों से मुक्ति

किसानों को धान की नर्सरी डालने से पहले बीजों का शोधन अवश्य करना चाहिए। नर्सरी डालते समय बीजों का शोधन करने से फसल में होने वाले कई रोगों से निपटा जा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार 25 किलो बीज को चार ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन दवा के साथ रात भर पानी में भिगोकर रख दिया जाता है। बस बीज शोधित हो जाता है। किसानों को अपने क्षेत्र के अनुसार बीजों का चयन करना चाहिए। धान की कई प्रजातियां होती है। यदि जलभराव वाले खेतों में धान की रोपाई करना है। या फिर ऊंचे खेतों में रोपाई करना तो हमें उस तरह की बीज का चयन करना चाहिए।

कैसे करें खेतों की तैयारी

धान की फसल रोपाई करने से पहले खेतों को अच्छी तरह से तैयार कर ले। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि खरीफ की फसल में खेतों की जुताई मिट्टी पलटने वाले यंत्रों से करनी चाहिए। जब मिट्टी पलटने वाले यंत्रों से खेतों की जुताई की जाती है। ऊपरी सतह के खरपतवार मिट्टी में सड़कर खाद का काम करते हैं। जिससे उत्पादन पर व्यापक असर पड़ता है।

धान की सीधी बुवाई और नर्सरी दोनों तरह से किसान कर खेती

किसान धान की नर्सरी डालने के बाद इसकी रोपाई करते हैं। किसान चाहे तो ड्रम सीडर का उपयोग कर धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं। धान की बुवाई करने से लागत में थोड़ा बहुत अंतर आता है। धान के खेतों में सीधी बुवाई करने से लागत कम आती है।अगर धान की सीधी बुवाई की जाती है तो अनुमानत: एक हेक्‍टेयर में 30 से 40 किलो बीज लगेगा। जबकि, धान की रोपाई में के लिए यह करीब 25 से 30 किलो होना चाहिए। अगर हम हाइब्रिड प्रजाति की बीजों का इस्तेमाल करते हैं। तो बीजों की मात्रा में और कमी आएगी। एक हेक्टर हाइब्रिड प्रजाति की रोपाई करने में हमें अधिकतम 15 किलोग्राम बीज लगेगा। जब की सीधी बुवाई करने में इसकी मात्रा 20 किलो तक होगी।

रोग से बचने के लिए करें ये उपाय

धान की नर्सरी में कीटों का खतरा होता है। इससे बचाव के लिए प्रति हेक्‍टेयर पर 1.25 लीटर क्‍लोरोसाइपार या 250 एमएल इमिडाक्‍लोप्रिड का छिड़काव करें।

अगर खैरा रोग से बचना है। तो 400 ग्राम जिंक सल्‍फेट को 1.6 किलो यूरिया 60 लीटर पानी में मिला लें। बुवाई के 15 दिन बाद इसे 700 से 800 वर्ग मीटर की दर से इसका छिड़काव करें। सफेदा रोग से बचने के लिए 1.5 किलो यूरिया में 300-350 ग्राम फेरस सल्‍फेट का घोल तैयार कर छिड़काव करना चाहिए।