
योग करते लोग फोटो सोर्स पत्रिका
International Yoga Day: अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर गोंडा जनपद इस बार एक ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है। विकासखंड वजीरगंज स्थित ग्राम कोडर, जो कि योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली माना जाता है। वहां पतंजलि आश्रम के निकट कम्पोजिट विद्यालय परिसर में योग दिवस का आयोजन 21 जून को प्रातः 6बजकर 30 मिनट से किया जाएगा। इस विशेष अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं दारा सिंह चौहान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।
International Yoga Day: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन को लेकर जिला प्रशासन, आयुष विभाग एवं शिक्षा विभाग के समन्वय से कई जागरूकता गतिविधियाँ प्रारंभ की गई हैं। योग दिवस के सफल आयोजन के लिए जनपद में रंगोली प्रतियोगिता, नुक्कड़ नाटक, निबंध और पोस्टर प्रतियोगिताएं कराई जा रही हैं। जिनके माध्यम से समाज के सभी वर्गों विशेषकर बच्चों और युवाओं को योग से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
इस वर्ष योग दिवस की थीम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के अनुरूप गांव-गांव, नगर-नगर के प्रमुख स्थलों व पार्कों में योग प्रशिक्षण शिविर लगाए जा रहे हैं। 1 जून से जनपद के सभी 16 विकासखंडों और सभी तहसीलों में योग प्रशिक्षण निरंतर जारी है। हर विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को कॉमन योगा प्रोटोकॉल के तहत अभ्यास कराया जा रहा है।
एक विशेष पहल के अंतर्गत सरयू किनारे बसे गांवों में रहने वाले मल्लाह, बुनकर, दिहाड़ी मजदूरों के बच्चों को प्रशिक्षकों द्वारा प्रतिदिन उनके घर जाकर योग प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षक आदर्श मिश्र ने बताया कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक संतुलन का माध्यम है। यह पहल ग्रामीण अंचलों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को सकारात्मक जीवन की दिशा में प्रेरित कर रही है।
महर्षि पतंजलि सिर्फ सनातन धर्म ही नहीं आज हर धर्मो के लिए पूज्य हैं। जिनके बताए योग के सूत्र से आज कितने लोगों ने असाध्य रोगों से मुक्ति पा ली है। जिस अमृत को देवताओं ने अपने पास सम्भाल के रखा उस अमृत स्वरूपी योग को पूरी दुनिया में बांटने वाले महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली जनपद के वजीरगंज विकासखंड के कोडर गांव में स्थित है। महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली का साक्ष्य धर्मग्रंथों में भी मौजूद है। इस बात का प्रमाण पाणिनि की अष्टाध्यायी महाभाष्य में मिलता है। जिसमें पतंजलि को गोनर्दीय कहा गया है। जिसका अर्थ है गोनर्द का रहने वाला। और गोण्डा जिला गोनर्द का ही अपभ्रंश है। महर्षि पतंजलि का जन्मकाल शुंगवंश के शासनकाल का माना जाता है। जो ईसा से 200 वर्ष पूर्व था। महर्षि पतंजलि योगसूत्र के रचनाकार है। इसी रचना से विश्व को योग के महत्व की जानकारियां प्राप्त हुई। ये महर्षि पाणीनी के शिष्य थे।
महर्षि पतंजलि अपने आश्रम पर अपने शिष्यों को पर्दे के पीछे से शिक्षा दे रहे थे। किसी ने ऋषि का मुख नहीं देखा था। लेकिन एक शिष्य ने पर्दा हटा कर उन्हें देखना चाहा तो वह सर्पाकार रूप में गायब हो गये। लोगों का मत है की वह कोडर झील होते हुए विलुप्त हुए। यही कारण है कि आज भी झील का आकार सर्पाकार है।
महर्षि पतंजलि अपने तीन प्रमुख कार्यो के लिए आज भी विख्यात हैं। व्याकरण की पुस्तक महाभाष्य, पाणिनि अष्टाध्यायी व योगशास्त्र कहा जाता है कि महर्षि पतंजलि ने महाभाष्य की रचना का काशी में नागकुआँ नामक स्थान पर इस ग्रंथ की रचना की थी। आज भी नागपंचमी के दिन इस कुंए के पास अनेक विद्वान और विद्यार्थी एकत्र होकर संस्कृत व्याकरण के संबंध में शास्त्रार्थ करते हैं। महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है। परंतु इसमें साहित्य धर्म भूगोल समाज रहन सहन से संबंधित तथ्य मिलते है। बताया जाता है सवा दो बीघा जमीन मंदिर के नाम पर है। यहाँ के पुजारी रमेश दास इस मंदिर की देख रेख व पूजा पाठ करते हैं।
Updated on:
20 Jun 2025 06:16 pm
Published on:
20 Jun 2025 06:15 pm
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