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Navratri 2023 : मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप की ऐसे करें पूजा, भोग में शामिल करें ये सामग्री

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा की विधि विधान से पूजा करने पर भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

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Navratri 2023

Navratri 2023 : मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप की ऐसे करें पूजा, भोग में शामिल करें ये सामग्री

नवरात्रि में मां दुर्गा की 9 दिन में अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। ज्योतिष के विद्वानों के मुताबिक मां चंद्रघंटा की विधि विधान से पूजा करने पर भक्तों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

ज्योतिषाचार्य पंडित पवन शास्त्री बताते हैं कि शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप यानी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता के मस्तक में घंटा के आकार का अर्द्धचंद्र है। इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा है। इनके चण्ड भयंकर घंटे की ध्वनि से सभी दुष्ट दैत्य-दानव और राक्षसों के शरीर का नाश होता है। आइए जानते है नवरात्र के तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, मंत्र, ज्योतिष उपाय और अन्य जानकारी के लिए अंत तक पढ़ें पूरी खबर

माता के तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक के सभी कष्ट होते दूर

माता चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। मां चंद्रघंटा देवी के तीन नेत्र और 10 हाथ हैं। इनके कर-कमल गदा, धनुष-बाण, खड्ग, त्रिशूल और अस्त्र-शस्त्र लिए, अग्नि जैसे वर्ण वाली ज्ञान से जगमगाने वाली और दीप्तिमती हैं। ये सिंह पर सवार हैं तथा युद्ध में लड़ने के लिए उन्मुख हैं। मां की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाओं का विनाश हो जाता है। देवी की कृपा से जातक पराक्रमी और निर्भयी हो जाता है।

इन सामग्री का लगाएं भोग

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें। मां चंद्रघंटा का ध्यान करें। उनके सामने दीपक प्रज्वलित करें। अब देवी को चावल, सिंदूर, फूल आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद मां चंद्रघंटा को फल और केसर-दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाएं। फिर आरती करें और माता से किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।

इन मंत्रों का करें जाप

- या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ध्यान मंत्र- पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मद्मं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

आरती देवी चंद्रघंटा

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।।

चंद्र समाज तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।।

क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।।