17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Sawan 2023 शिव मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ वीडियो में देखें भक्तों के उत्साह, तीसरी आंख से हो रही निगरानी

Sawan 2023 : सावन मास में भगवान भोलेनाथ उपासना का विशेष महत्व है। सावन सोमवार के दिन आज जिले के पृथ्वीनाथ, दुखहरण नाथ, बालेश्वर नाथ महादेव मंदिर सहित अन्य प्रमुख मंदिरों पर श्रद्धालुओं अपने आराध्य देव भोलेनाथ का जलाभिषेक किया। इस दौरान जो भक्तों में भारी उत्साह देखा गया। वीडियो में देखें शिव भक्तों में किस तरह जलाभिषेक को लेकर उत्साह रहा है।  

3 min read
Google source verification
img-20230710-wa0002.jpg

Sawan 2023 : यूपी के गोंडा जिले सावन के पहले सोमवार को लेकर पृथ्वीनाथ दुखहरण नाथ सहित प्रमुख शिव मंदिरों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर में सीसीटीवी कैमरे पहले ही लगवाए गए। जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत सामना ना करना पड़े इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था में महिला और पुरुष दोनों सुरक्षाकर्मी लगाए गए।

गोंडा जिले में मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित एशिया महाद्वीप का सबसे विराटतम शिवलिंग पृथ्वीनाथ मंदिर पर जलाभिषेक करने के लिए भोर से ही शिव भक्तों की कतारें लग गई। हाथों में जल भांग धतूरा बेलपत्र लिए शिवभक्त ओम नमः शिवाय का उच्चारण कर रहे थे। शिव भक्तों के उत्साह देखने लायक थे। वही सावन का सोमवार होने के नाते भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक भी लोग करा रहे थे। पृथ्वीनाथ मंदिर में भगवान शिव के साक्षात दर्शन होते हैं। पांडवों के अज्ञातवास के दौरान यहां भीम द्वारा स्थापित साढ़े 5 फुट ऊंचा एशिया महाद्वीप का सबसे विराटतम शिवलिंग है। प्राचीनतम समय में इस क्षेत्र में पांडव अपनी मां कुंती के साथ रहते थे। इस क्षेत्र के लोग ब्रह्म राक्षस से पीड़ित थे। भीम ने उसका वध कर दिया था। अभिशाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के मार्गदर्शन के बाद भगवान शिव की उपासना के लिए इस विराटतम शिवलिंग की स्थापना किया था।

बरखंडी नाथ महादेव मंदिर

कर्नलगंज नगर से मात्र 3 किलोमीटर दूर हुजूरपुर रोड पर स्थित पौराणिक बरखंडी नाथ महादेव मंदिर के शिवलिंग की गहराई का आज तक किसी को पता नहीं चला। बताया जाता है कि जब कर्नलगंज क्षेत्र पूरा भाग जंगल था। तब जंगल में चरवाहे अपनी जानवर को चराने आते थे। तथा मूंज को एकत्र कर उसे कूटते तथा रस्ती बनाते थे। एक दिन जिस पत्थर पर कूट रहे थे। अचानक खून निकलने लगा , इसकी जानकारी श्रावस्ती के राजा को हुई। वह अपने हाथी घोड़ों के साथ वहां पहुंचे तथा पत्थर को जंजीर से बांधकर हाथी से खींचने लगे। किंतु पत्थर को निकाल ना सके। जब खुदाई भी नाकाम रही और वह बीमार पड़ गए तब एक रात्रि स्वप्न देखा कि मंदिर बनवाने से ठीक हो सकते हैं।

उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया। तथा वहां पुजारी की नियुक्ति की मंदिर नियमानुसार यहां का पुजारी जीवन भर अविवाहित रहेगा। प्रथम पुजारी की 32 वीं पीढ़ी के महंत सुनील पुरी वर्तमान में इस मंदिर की देखरेख

करते हैं।

बालेश्वर नाथ मंदिर

जनपद वजीरगंज क्षेत्र के ग्राम नगवा बल्हाराई में स्थित बालेश्वर नाथ मंदिर को लेकर धार्मिक ग्रंथ श्रीमद्भागवत में वर्णित है। कि भगवान राम के पूर्वज राजा सुदुम्न द्वारा स्थापित बालेश्वर नाथ मंदिर की मान्यता है कि जंगल क्षेत्र होने के नाते यहां पर भगवान शिव और माता पार्वती भ्रमण किया करते थे। इसलिए यह क्षेत्र इंसानों के लिए वर्जित था। अवधारणा है कि राजा सुदुम्न शिकार के दौरान जंगल में प्रवेश कर गए। जिन्हें माता पार्वती ने स्त्री बन जाने का श्राप दिया। स्त्री बन जाने के बाद राजा दुविधा में पड़ गए। वह सोचने लगे कि वह अब अयोध्या किस प्रकार जाएंगे। उन्होंने भगवान शिव से अपनी गलती स्वीकार करते हुए क्षमा मांगी। भगवान शिव चाह कर भी श्राप वापस न ले सके। बशर्ते उन्होंने आशीर्वाद दिया कि 6 महीने तक स्त्री व छह महीने तक पुरुष के रूप में रहोगे। इस तरह जब राजा पुरुष के वेशभूषा में होते थे, तो अयोध्या और जब स्त्री के वेशभूषा में होते थे, तब वह जंगल में भगवान शिव की आराधना करते थे। इनके द्वारा स्थापित शिव मंदिर आज बाबा बालेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है।

दुखहरण नाथ मंदिर

मुख्यालय के स्टेशन रोड स्थित बाबा दुखहरण नाथ मंदिर अति प्राचीनतम है। बताया जाता है कि पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान यहां पर एक शिवलिंग की स्थापना की गई थी। बाद में इस मंदिर का निर्माण गोंडा नरेश ने करवाया। यह मंदिर पूरी तरह पत्थरों से बना भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि यहां पर जलाभिषेक व पूजा अर्चना करने से श्रद्धालुओं के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां पर पूरे वर्ष प्रत्येक शुक्रवार व सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। सावन मास में सोमवार व शुक्रवार को शिव भक्तों की अपार भीड़ जलाभिषेक करती है। जिसके लिए प्रशासन को रूट डायवर्जन के साथ-साथ सुरक्षा के व्यापक इंतजाम करने पड़ते हैं।