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अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर जिले में आयोजित होगा योग का महासंगम, अंतिम चरण में चल रही हैं तैयारियां : CDO

योग एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी। 'योग' शब्द संस्कृत से लिया गया है और इसका अर्थ है जुड़ना या एकजुट होना, जो शरीर और चेतना के मिलन का प्रतीक है।

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गोरखपुर जनपद में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बड़े स्तर पर मनाया जाएगा। मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) शाश्वत त्रिपुरारी ने अधिकारियों के साथ बैठक कर तैयारियों की समीक्षा की और निर्देश दिए कि योग दिवस को लेकर हर स्तर पर बेहतर समन्वय के साथ कार्य हो।

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15 से 21 जून तक योग जागरूकता सप्ताह

सीडीओ ने बताया कि 15 से 21 जून तक योग जागरूकता सप्ताह मनाया जाएगा उद्घाटन सत्र नौकाविहार जट्टी पर बृहद रूप से किया जाएगा उद्घाटन इस दौरान आंगनबाड़ी, आशा व एएनएम कार्यकर्ताओं को योग प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे अपने क्षेत्रों में आमजन को योगाभ्यास करा सकें।

मुख्य कार्यक्रम सुबह 6 से 8 बजे तक आयोजित होंगे

योग दिवस के मुख्य कार्यक्रम सुबह 6 से 8 बजे तक आयोजित होंगे, जो सभी थानों, पीएसी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूलों और वेलनेस सेंटर्स में एक साथ संचालित होंगे। एनसीसी, एनएसएस, स्काउट-गाइड, पंचायती राज, ग्राम्य व नगर विकास, समाज कल्याण, शिक्षा और दिव्यांगजन विभाग की सक्रिय भागीदारी रहेगी। सीडीओ ने कहा कि योग दिवस से पहले सभी पंचायतों और शहरी निकाय क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा। वहीं, बच्चों और युवाओं को जोड़ने के लिए नाटक, पोस्टर, रंगोली और स्लोगन प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी।

योग दिवस के दिन होगा वृक्षारोपण

प्राकृतिक स्थलों जैसे अमृत सरोवरों के किनारे योग सत्र आयोजित होंगे और 'एक पेड़–एक नाम' के तहत वृक्षारोपण कराया जाएगा। चिन्हित योग स्थलों को 'योग संगम' का दर्जा देकर सम्मानित भी किया जाएगा।

जानिए कौन थे महर्षि पतंजलि

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के वजीरगंज कस्बा स्थित कोडर झील के पास महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार योग के जनक महर्षि पतंजलि पर्दे के पीछे से यहां पर अपने शिष्यों को शिक्षा देते थे। ऋषि पतंजलि की माता का नाम गोणिका था। इनके पिता के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। पतंजलि के जन्म के विषय में ऐसा कहा जाता है कि यह स्वयं अपनी माता के अंजुली के जल के सहारे धरती पर नाग से बालक के रूप में प्रकट हुए थे। माता गोणिका के अंजुली से पतन होने के कारण उन्होंने इनका नाम पतंजलि रखा। ऋषि को नाग से बालक होने के कारण शेषनाग का अवतार माना जाता है।


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