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गोरखपुर उपचुनावः ये होंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संसदीय सीट के लिए उत्तराधिकारी

बीजेपी में दावेदारी करने वाले भी खुलकर अपनी दावेदारी नहीं जता पा रहे। सब ओर एक ही प्रश्न कौन होगा बीजेपी का प्रत्याशी

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भाजपा की बढ़ी टेंशन

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा खाली की गई गोरखपुर संसदीय सीट पर प्रत्याशियों को लेकर सभी दलों में फुसफुसाहट बरकरार है। टिकट के लिए दावा किए नेता तक अपनी जुबान खोलने से कतरा रहे हैं। जबकि उपचुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और नामांकन पत्रों की बिक्री भी दो दिनों से जारी है। अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी महीनों से मंथन में जुटी हुई है। इस दल में एक दर्जन से अधिक दावेदार हैं, सब अपने तरीके से नीचे से उपर तक लाबिंग तो कर रहे लेकिन खुलकर आने से कतरा रहे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र के लिए उनका उत्तराधिकारी कौन होगा यह तो अभी भाजपा के शीर्श नेतृत्व के अलावा कोई भी बताने में असमर्थ है लेकिन माना यह जा रहा कि बीजेपी किसी ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है। चर्चा तो यह भी है कि सालों से यहां की राजनीति में चली आ रही ठाकुर-ब्राह्मण वर्चस्व की लड़ाई को विराम देने की भी कोशिश में भाजपा की हाईलेवल कमेटी है। बताया यह जा रहा कि सारे समीकरणों को दरकिनार कर भाजपा पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी से परिवार के किसी पर दांव लगा सकती है। पर, राजनैतिक जानकार यह बताते हैं कि इस नए समीकरण की राह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहमति बेहद जरूरी है और वह ऐसा करेंगे संभव नहीं दिख रहा।
जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री अपनी संसदीय सीट पर अपने किसी विश्वासपात्र को जीतवाना चाहेंगे। आम चर्चा यह है कि चचाई मठ के पंचानन पुरी, कालीवाड़ी के महंत रविद्रदास पर भी मुख्यमंत्री दांव लगा सकते हैं। लेकिन राजनैतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए चर्चाओं को कोई बल नहीं मिल रहा। इन्हीं चर्चाओं में एक नाम पूर्व सांसद स्वामी चिन्मयानंद की दावेदारी काफी बलवती मानी जा रही। वजह यह कि स्वामी चिन्मयानंद काफी चर्चित नेताओं में शुमार हैं। गोरखनाथ मंदिर और योगी आदित्यनाथ से उनकी करीबी होने के साथ बीजेपी में भी खासी दखल मानी जाती है। जानकार बताते हैं कि उनके गोरखपुर सीट पर लड़ने से पार्टी में किसी प्रकार का विरोध भी नहीं होगा।
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह के सुपुत्र पूर्व मंत्री फतेहबहादुर सिंह की भी मंदिर से नजदीकी और इधर कुछ दिनों से काफी कार्यक्रमों का आयोजन गोरखपुर संसदीय सीट पर उनकी दावेदारी की इच्छा को जता रही। कहा यह जा रहा कि वह खुद या अपनी पत्नी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष साधना सिंह को इस सीट से लड़वाने को इच्छुक हैं। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपनी विधानसभा सीट योगी के लिए छोेड़ने की इच्छा भी जताई थी।
इन नामों के अलावा बीजेपी संगठन के क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ल भी खुद के लिए दावेदारी कर रहे हैं। संगठन से काफी दिनों से जुड़े शुक्ला का एक प्रबल पक्ष यह भी है कि वह ब्राह्मण समुदाय से आते हैं।
बहरहाल, बीजेपी का मंथन जारी है। वह हर स्तर पर जांच परख के बाद ही किसी प्रत्याशी के नाम का ऐलान करना चाहती है ताकि उपचुनाव में उसकी कोई किरकिरी न हो।


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