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दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में सात साल बाद शोध पात्रता परीक्षा आयोजित होने वाली है। इसके लिए विवि अपने काॅलेजों के शिक्षकों की लिस्ट तैयार कर रहा जो शोध कराने में सक्षम हैं। ऐसे शिक्षकों की सूची मांगी गई जो शोध पर्यवेक्षक या सह पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करने के लिए अर्ह हो। 15 दिसंबर तक काॅलेज के प्राचार्याें को यह सूची उपलब्ध करानी होगी।
शोध पात्रता परीक्षा के समन्वयक प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने बताया कि यह विवरण प्राप्त होते ही परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाएगी।
गोविवि में लगभग 7 वर्ष बाद शोध पात्रता परीक्षा आयोजित की जा रही है। इस बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने शोध पर्यवेक्षक होने की अर्हता में कई बदलाव किए हैं। प्रदेश शासन ने इस साल 24 अगस्त को सभी विश्वविद्यालयों को यूजीसी के शोध विनियम 2016 को यथावत लागू करने का निर्देश दिया था।
प्रो. सिन्हा ने बताया कि नए निर्देशों के मुताबिक परीक्षा की आवेदन प्रक्रिया से पूर्व विवि द्वारा विषयवार शोध रिक्तियों का विवरण प्रस्तुत किया जाना है। इसके लिए परिसर और सम्बद्ध महाविद्यालयों से विवरण मांगे गए हैं। इस सम्बंध में कुलसचिव द्वारा प्राचार्यों को प्रेषित पत्र में तीन प्रारूप भी संलग्न किये गए हैं ताकि विवरण में एकरूपता रहे।
’यह होगी प्रक्रिया’
1. शोध पर्यवेक्षक या सह पर्यवेक्षक होने की अर्हता रखने वाले शिक्षक निर्धारित प्रारूप में अपना आवेदन आवश्यक प्रमाणों के साथ प्राचार्य को प्रस्तुत करेंगे।
2. प्राचार्य सभी पात्र आवेदनों को अग्रसारित करते हुए निर्धारित प्रारूप में उसका समेकित विवरण समन्वयक, शोध पात्रता परीक्षा को भेजेंगे। शोध पंजीयन की प्रक्रिया से पूर्व सम्बंधित विषय की विभागीय समिति इन आवेदनों का परीक्षण करेगी।
3.प्राचार्य निर्धारित प्रारूप में यह प्रमाणपत्र भी भेजेंगे कि उनके महाविद्यालय में शोध कार्य से सम्बंधित वे सभी सुविधाएं उपलब्ध है जिसे यूजीसी शोध विनियम 2016 में आवश्यक बताया गया है।
’शोध पर्यवेक्षक की अर्हता’
विश्वविद्यालय तथा संबंध महाविद्यालय के पूर्णकालिक महाविद्यालय के पूर्णकालिक एवं नियमित रूप से नियुक्त ऐसे शिक्षक शोध पर्यवेक्षक होंगे जो पीएचडी उपाधि धारक हों। यह अर्हता रखने वाले प्रोफेसर के न्यूनतम 5 शोध पत्र संदर्भित शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित होने आवश्यक है जबकि एसोसिएट प्रोफेसर तथा असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए न्यूनतम दो शोध पत्र प्रकाशित होने आवश्यक है। शोध विनियम 2016 के अनुच्छेद 10.2 में वर्णित व्यवस्था के अनुसार केवल वे महाविद्यालय ही पीएचडी पाठ्यक्रम प्रस्तुत कर सकेंगे जहां स्नातकोत्तर विभाग होंगे। स्नातक विभाग में कार्यरत अर्हता धारी शिक्षक विनियम के प्रावधानों के तहत शोध सलाहकार परिषद के निर्णय अनुसार सह पर्यवेक्षक के रूप में नामित किए जा सकेंगे ।
Published on:
09 Dec 2018 09:39 am
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