एम्स के नेत्र रोग विभाग में पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में सेंचुरियन गोल्ड फेको मशीन की स्थापना की गई थी। बेहद कम चीरे लगाकर आंखों में लेंस लगाया जा रहा है। अब तक 650 रोगियों के मोतियाबिंद का आपरेशन हो चुका है।
नेत्र रोग विभाग की डा. अलका त्रिपाठी ने बताया कि आपरेशन के लिए एक हजार रुपये का पंजीकरण शुल्क लगता है। डा. ऋचा अग्रवाल, डा. नेहा सिंह, डा. अमित ने बताया कि रोजाना आपरेशन हो रहे हैं।
एम्स के नेत्र रोग विभाग में सामान्य लेंस के साथ ही मल्टीफोकल, टोरिक व एक्सटेंडेड डेप्प आफ फोकस जैसे प्रीमियम लेंस भी लगाए जाते हैं। यह काफी महंगे होते हैं। लेंस रोगी खुद ही ले आ सकते हैं। सिर्फ 2.2 मिलीमीटर का छोटा चीरा होने से रोगी को कुछ ही घंटों में डिस्चार्ज कर दिया जाता है। सख्त मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, माइक्रो कार्निया, कोलोबोमा आदि का भी आपरेशन हो रहा है।
एम्स गोरखपुर कार्यकारी निदेशक व मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रो. गोपाल कृष्ण पाल ने कहा कि नेत्र रोग विभाग में आंखों के सभी तरह के आपरेशन हो रहे हैं। रोगियों की सहूलियत के साथ ही रुपये भी बहुत खर्च होते हैं। निजी अस्पतालों में जिन आपरेशन पर काफी रुपये खर्च होते हैं, एम्स में यह मामूली खर्च पर हो रहे हैं।