
आज ‘विश्व अस्थमा दिवस’ है। अस्थमा सांस की नली और फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें कई बार सही समय पर मरीज को इलाज ना मिले, तो उसकी जान भी जा सकती है। यह रोग बच्चों से लेकर वयस्कों को कभी भी हो सकता है। प्रत्येक वर्ष ‘वर्ल्ड अस्थमा डे’ को एक खास थीम के तहत मनाते हुए लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की जाती है।इस वर्ष इस दिवस की थीम रखी गई है ‘क्लोजिंग गैप्स इन अस्थमा केयर’।अस्थमा एक लंबे समय तक चलने वाली सूजन संबंधी बीमारी है, जो फेफड़ों के वायुमार्ग को प्रभावित करती है। इसमें व्यक्ति को खांसी, सांस लेने में समस्या, घरघराहट, सीने में जकड़न जैसे लक्षण नजर आते हैं।कुछ उपायों को अपनाकर अस्थमा के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है।
गोरखपुर के सीएमओ डा. आशुतोष कुमार दूबे के अनुसार अस्थमा एक अनुवांशिक बीमारी है। गर्मी के मौसम में धूल गर्दा मिट्टी परागकण गर्म हवाएं धुंआ नमी सीलन मौसम में परिवर्तन सर्दी जुकाम धूमपान आदि के संपर्क में जाने से भी रोगी की परेशानी बढ़ सकती है।अस्थमा के रोगियों के लिए सर्दी-जुकाम खतरनाक होता है। इसलिए उन्हें बचाव के लिए हर साल इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन जरूरी लगवानी चाहिए। खांसी आना, सांस फूलना, सीने में भारीपन, छींक, नाक बहना आदि अस्थमा के लक्षण हैं। ऐसी दिक्कत होने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
सीना रोग विशेषज्ञ डा. नदीम अर्शद व बीआरडी मेडिकल कालेज के टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग के अध्यक्ष डा. अश्विनी मिश्रा ने कहा है कि कोविड संक्रमण व गर्मी इस रोग की जटिलताएं बढ़ा सकती है। इसलिए उपचार से बेहतर बचाव है।
ये हैं कारण-
डा. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि अस्थमा एक अनुवांशिक बीमारी है । इसमें रोगी की श्वसन नलिकाएं अति संवेदनशील हो जाती हैं। कुछ कारणों से उनमें सूजन भी आ जाता है, जिसकी वजह से सांस लेने में कठिनाई आती है। गर्मी के मौसम में धूल, गर्दा, मिट्टी, परागकण, गर्म हवाएं, धुंआ, नमी, सीलन, मौसम में परिवर्तन, सर्दी, जुकाम, धूमपान, शराब, एसीडिटी, भूसा आदि के संपर्क में जाने से भी रोगी की परेशानी बढ़ सकती है।
ऐसे करें बचाव-
रोगियों को श्वसन तंत्र मजबूत बनाने के लिए 10 मिनट प्राणायाम अवश्य करना चाहिए। अगर किसी चीज से एलर्जी है तो उससे बचें। वायु प्रदूषण और धूलभरी जगहों पर जाने से बचें। खुद से उपचार में कोई बदलाव न करें। खिड़की खोल कर न सोएं। घर में खाना बनाते समय, झाड़ू लगाते समय, पूजा व हवन के समय घर से बाहर रहना चाहिए। अस्थमा रोगियों के बिस्तर को प्रत्येक सप्ताह पांच से छह घंटे धूप में डालना जरूरी है।
Published on:
03 May 2022 09:44 am
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