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दिवाली से पहले नोएडा और ग्रेनो की हवा हुई खराब, खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण

Pollution in Noida: नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक बुधवार को 446 और ग्रेटर नोएडा का 292 दर्ज किया गया, जोकि बहुत खराब (रेड जोन) श्रेणी में आता है।

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दिवाली से पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में तेजी से बढ़ रहा प्रदूषण

Pollution in Noida: दिवाली से पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बढ़ता प्रदूषण का स्तर एक बार फिर से खतरे की घंटी बजा रहा है। नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक बुधवार को 446 और ग्रेटर नोएडा का 292 दर्ज किया गया, जोकि बहुत खराब (रेड जोन) श्रेणी में आता है। जिससे बुजुर्ग और बच्चों के लिए हवा हानिकारक साबित हो रही है। वहीं आखों में जलन और सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं। हालांकि जिला प्रशासन और प्रदूषण विभाग ने इससे निपटने के लिए कवायद शुरू कर दी है। दिवाली के पहले ही प्रदूषण का स्तर लाल घेरे में पहुंचने से ग्रैप की गाइडलाइंस के अनुसार, पाबदियां भी बढ़ाई जा सकती हैं।

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प्रदूषण से निपटने के लिए कवायद शुरू

बता दें कि शहर में स्मॉग की चादर ने शहर को पूरी तरह से अपनी आगोश में ले लिया है। आसमान पर धूल का गुबार छाए हुआ है। प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए जिला प्रशासन और प्रदूषण विभाग इससे निपटने के लिए कवायद शुरू कर दी है लेकिन उसका ये प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहा है। हवा में उड़ती धूल और धुआं शहर की हवा को दूषित करने के साथ-साथ पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 10 की मात्रा बढ़ा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्राधिकरण को धूल की सफाई के दौरान पानी का छिड़काव करने की एडवाइजरी जारी कर चुका है।

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जल्द ही लागू कर दिया जाएगा ग्रैप

यूपीपीसीबी के अधिकारियों का कहना है कि अभी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) की पाबंदियां लागू नहीं की गई हैं। यह मौसम के आधार पर लागू किया जाता है। अनुमान है कि जल्द ही ग्रैप लागू कर दिया जाए। ग्रैप लागू होने के बाद प्रतिदिन प्रमुख सड़कों पर पानी का छिड़काव, खुले में आग लगाने पर पाबंदी, सड़कों की सफाई का काम प्रतिदिन होगा। साथ ही वायु प्रदूषण के मानकों के उल्लंघन पर कम से कम 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्राधिकरण ने टीमें बना ली हैं। निर्माण स्थलों पर स्मॉग गन लगाने की भी तैयारी कर ली गई है।

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फेफड़े, दिल, और अस्थमा के मरीजों को दिक्कत

हवा में उड़ती धूल और धुआं शहर की हवा को दूषित करने के साथ-साथ पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 10 की मात्रा बढ़ा रहा है। लगातार बढ़ता प्रदूषण बीमार लोगों के लिए सबसे अधिक परेशानी का कारण बन सकता है। फेफड़े, दिल, और अस्थमा के मरीजों को सबसे अधिक समस्या हो सकती है। उड़ती धूल का प्रदूषण बाहर खेलते बच्चों को भी बीमार कर सकता है। नाक में पीएम-10 के कण आसानी से प्रवेश कर फेफड़ों में अंदर तक जाते हैं और उन्हें प्रभावित करते हैं। इससे फेफड़ों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, डिप्रेशन, बेचैनी जैसी परेशानियां बढ़ती है।