
नोएडा। कोरोना संक्रमण काल के बीच सरकार अस्पतालों में इलाज कराना लोहे के चने चबाना जैसा हो गया है। वहीं अगर पीड़ित गरीब है तो निजी अस्पताल पैसे के कारण मरीज को पास फटने नहीं देते और सरकारी अस्पताल कोरोना का हवाला देकर मरीज को टरका देते हैं। ग्रेटर नोएडा में एक ऐसा ही बदनसीब पिता बुधवार को अपने तीन साल के घायल बच्चे के इलाज के लिए 6 अस्पतालों में भटकता रहा, जिसमें उसके 3600 रुपये भी खर्च हो गए। अंत में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसका इलाज चल रहा है और वह वेंटीलेटर सपोर्ट पर है।
दरअसल, ग्रेटर नोएडा के डाढा गांव में किराये पर रहने वाला रोशन लाल का तीन साल का मासूम छत पर खेलने के दौरान नीचे गिर गया। जिससे उसके सिर पर गंभीर चोट आई है। पिता रोशन लाल बच्चे को लेकर ग्रेटर नोएडा के आइवरी अस्पताल पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद बच्चे को एक निजी एंबुलेंस से सीएचसी बिसरख रेफर कर दिया। यहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने सिटी स्कैन व एक्सरे की सुविधा नहीं होने की बात कहकर ग्रेनो स्थित यथार्थ अस्पताल रेफर कर दिया।
आरोप है कि यहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल में सिर्फ कोविड मरीजों का इलाज होता है। इसलिए उन्हें नोएडा के सेक्टर-110 वाले यथार्थ अस्पताल जाना होगा। यहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने बताया कि इलाज में करीब 25 हजार रुपये का खर्च आएगा। पैसा जमा करने पर ही उपचार शुरू होगा, लेकिन जब उन्होंने रुपये जमा करने में असमर्थता जताई तो बच्चे को जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
आरोप है कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने बाल रोग विशेषज्ञ व सिटी स्कैन सहित अन्य सुविधाएं नहीं होने की बात कहकर बच्चे को सफदरजंग अस्पताल ले जाने को कहा। अस्पताल दर अस्पताल भटकने के बाद बच्चे को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में बुधवार को भर्ती कराया गया। अब बच्चे का इलाज सफदरजंग अस्पताल में चल रहा है। वह वेंटीलेटर सपोर्ट पर है। लेकिन निजी एंबुलेंस में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर काटने में करीब रोशन लाल का बिना इलाज के 3600 रुपये का खर्च हो गए।
Updated on:
18 Jun 2020 12:35 pm
Published on:
18 Jun 2020 12:24 pm
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