दरअसल, वर्ष 2002-03 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में मैनेजर, असिस्टेंट मैनेजर से लेकर चपरासी के 67 पदों पर भर्ती हुई थी। इस दौरान सूबे में बसपा की मायावती सरकार थी। जेवर से भाजपा विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह द्वारा इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय में लिखित शिकायत की गई थी। जिस पर सरकार द्वारा जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
बता दें कि बसपा सरकार जाने के बाद 15 वर्ष से अब तक इस मामले की तीन बार जांच हो चुकी है। हर बार भर्ती में अनियमिता की पुष्टि हुई और 58 लोगों की नियुक्ति नियम विरुद्ध करार दी गई, लेकिन कभी कार्रवाई नहीं हुई। वहीं अब सीएम योगी के निर्देश के बाद औद्योगिक विकास विभाग के विशेष सचिव प्रभांशु श्रीवास्तव ने सीईओ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को पत्र लिखकर जांच में अवैध नियुक्ति के चिह्नित कर्मियों के पदनाम, उनसे संबंधित आरोप पत्र और साक्ष्य सहित सभी जानकारी शासन को उपलब्ध कराने को कहा गया है।
इस मामले में विधायक धीरेंद्र सिंह का कहना है कि ‘नेताओं के फोन पर भर्तियां की गईं। आश्चर्य की बात है कि घोटाला 2002 से शुरू हुआ, लेकिन इस पर समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सरकारें चुप रहीं। अंतत: करीब दो महीने पहले मैंने सीएम योगी को भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा, जो घोटाले में शामिल थे।’
मुलायम ने कहा था जांच शुरू करने को उल्लेखनीय है कि 2003 में जब समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता में आई और मुलायम सिंह ने पद संभाला तो उन्होंने तत्कालीन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ बृजेश कुमार को भर्ती घोटाला की जांच शुरू करने को कहा। वहीं सूत्रों का कहना है कि उस समय जांच कर बृजेश कुमार ने भर्तियों को रद्द करने की सिफारिश की था, लेकिन 2007 में मायावती फिर से मुख्यमंत्री बन गईं। आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के निर्देश पर घोटाले की फाइल को बंद कर दिया गया था।