
नई दिल्ली. पीएम नरेन्द्र मोदी अयोध्या से पहले आबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखेंगे। इससे पहले उन्होंने अगस्त 2015 में यूएई का दौरा किया था। यह उनका दूसरा दौरा है। रविवार को वह यूएई के पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखेंगे। पीएम दुबई के ओपेरा हाउस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मंदिर की आधारशिला रखेंगे। वहां पर भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित भी करेंगे। यूएई सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए 20,000 वर्ग मीटर जमीन दी है। यूएई सरकार ने साल 2015 में उस वक्त मंदिर के लिए जमीन देने का एलान किया था जब पीएम मोदी दो दिवसीय दौरे पर वहां गए थे।
मंदिर इतना अहम क्यों
भारतीय दूतावास के आंकड़ों के मुताबिक यूएई में तकरीबन 26 लाख भारतीय रहते हैं जो वहां की आबादी का लगभग 30% हिस्सा है। अभी तक वहां पर हिंदू मंदिर न होने से सभी हिंदू अपने घरों में देवी-देवताओं की मूर्तियां रखकर पूजा-पाठ करते हैं। सामूहिक रूप से लोग धार्मिक उत्सव नहीं मना पाते। इस कमी को पूरा करने के लिए भारतीय कारोबारी बीआर शेट्टी मंदिर निर्माण को लेकर लंबे अरसे से प्रयासरत थे। उनका अबूधाबी में बड़ा कारोबार है। वो यूएई एक्सचेंज नाम की कंपनी के एमडी और सीईओ हैं। इसलिए उन्हें लगा कि यहां रहने वाले हिंदुओं के लिए एक प्रार्थनास्थल होना चाहिए।
मंदिर में विराजेंगे शिव , कृष्ण व अयप्पा
अबू धाबी में अल वाकबा नाम की जगह पर 20,000 वर्ग मीटर की जमीन में बनेगा। हाइवे से सटा अल वाकबा अबू धाबी से तकरीबन 30 मिनट की दूरी पर है। वैसे तो मंदिर साल 2017 के आखिर तक बन कर तैयार हो जाना था लेकिन कुछ वजहों से देरी हो गई। जानकारी के मुताबिक मंदिर में कृष्ण , शिव और अयप्पा (विष्णु) की मूर्तियां होंगी। अयप्पा को विष्णु का एक अवतार बताया जाता है और दक्षिण भारत खासकर केरल में इनकी पूजा होती है।
मिनी वृंदावन
यह मंदिर काफी शानदार और बड़ा होगा। इसमें एक छोटा वृंदावन यानी बगीचा और फव्वारा भी होगा। मंदिर बनने को लेकर अबू धाबी के स्थानीय हिंदुओं में उत्साह और खुशी का माहौल है। पूजा या शादी जैसे समारोह करने के लिए हिंदुओं को दुबई आना पड़ता है। इसमें तकरीबन तीन घंटे का वक्त लगता है। आबू धाबी में चर्च जरूर हैं, लेकिन कोई मंदिर नहीं हैं।
कारोबारी लिहाज से महत्वपूर्ण यूएई
यूएई कुछ साल पहले तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। अब भी चीन और अमरीका के बाद ये तीसरे स्थान पर है। वहां पर पेट्रो डॉलर के असली किंग हिंदुओं को माना जाता है। इसके अलावा कच्चे तेल और ऊर्जा के क्षेत्र में यूएई भारत का एक महत्वपूर्ण पार्टनर है। भारत को गैस और तेल की जरूरत है और यूएई इसका एक बड़ा आपूर्तिकर्ता है और इससे भी बड़ा भागीदार बनने की क्षमता रखता है। निवेश के लिए यूएई को एक बड़ा बाजार चाहिए जो भारत के पास है। फिलहाल भारत में उसका निवेश केवल तीन अरब डॉलर का है।
Updated on:
11 Feb 2018 08:57 am
Published on:
11 Feb 2018 08:54 am
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