रिपोर्ट में खाशोगी के बारे में कहा गया है कि वो वर्जीनिया में स्व निर्वासित जीवन जी रहे थे। उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस एमबीएस और शाही शासन के खिलाफ वाशिंगटन पोस्ट में कुछ कॉलम लिखे थे। अक्टूबर में उनकी हत्या की वजह से ही अमरीका और सऊदी अरब में मतभेद को बढ़ावा मिला था। इसके अलावा कम से कम 20 प्रमुख महिला एक्टिविस्ट की गिरफ्तारी, अहिंसक अपराधों के लिए फांसी, कैदियों को जबरन गायब करना और अत्याचार करना जैसे मानवाधिकारों के उल्लंघन का रिपोर्ट में जिक्र है।
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि शाही नियम पहले की तुलना में कम सख्त हैं। कुछ मामलों में नरम रवैया भी शाही शासन ने अख्तियार किया है। पहली बार महिलाओं को मत देने और स्थानीय निकायों में बतौर प्रत्याशी चुनाव लड़ने का अधिकार दिया गया है।
हालांकि सऊद अरब की सरकार ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है। शाही शासन ने बताया है कि कुछ मामलों में कांग्रेस की रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं है।
दूसरी तरफ ट्रंप प्रशासन का रुख जमाल खशोगी व शाही शासन के सख्त रवैये को लेकर नरम है। ट्रंप प्रशासन सऊदी सरकार के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाना चाहता है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि सऊदी अरब मध्य पूर्व में अमरीका का महत्वपूर्ण साथी है। इसलिए मामले को तूल देना अमरीकी हित में नहीं है।